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त्रैमासिक - दसवाँ संस्करण (तृतीय वर्ष) | जनवरी, 2013 |
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अनुक्रमणिका | हमारा संस्थान | ||||||||||||
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सचिव महोदय, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग का संस्थान में आगमन | |||||||||||||
संस्थान में, डा.राजेश राजौरा, सचिव, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, मध्यप्रदेश शासन का दिनांक 18 दिस. 2012 को प्रथम आगमन हुआ। सचिव महोदय की अध्यक्षता में समीक्षा बैठक सम्पन्न हुई। बैठक में संस्थान की ओर से श्री संजीव सिन्हा, उपसंचालक के द्वारा संस्थान की प्रशिक्षण गतिविधियों, कामकाज और भविष्य की कार्ययोजना के संबंध में विस्तृत प्रस्तुतीकरण कर सचिव महोदय को अवगत कराया गया। सचिव महोदय के द्वारा संस्थान में संचालित गतिविधियों की जानकारी लेते हुये, संस्थान के प्रशिक्षण कार्यक्रम एवं संबंधित अन्य गतिविधियों को दक्षतापूर्वक एवं प्रभावी ढंग से करने के लिये उपयोगी सुझाव एवं मार्गदर्शन दिया गया। समीक्षा बैठक में उपसंचालक के अतिरिक्त संस्था में कार्यरत अन्य अधिकारीगण एवं संकाय सदस्यों ने भी हिस्सा लिया। सचिव महोदय ने संस्थान के संकाय सदस्यों के क्षमता विकास संबंधी गतिविधियों की जानकारी लेते हुये, प्रशिक्षण संचालन में संकाय सदस्यों की दक्षता एवं प्रभाविकता की आवश्यकता पर बल दिया। |
संस्थान परिसर का भ्रमण करते हुये, उनके द्वारा संस्थान के सौंदर्यीकरण हेतु किए गये कार्यो का मुआयना किया गया। संस्थान में आर.ई.एस. एवं लघु उद्योग निगम के माध्यम से कराये जा रहे छात्रावास निर्माण एवं आडीटोरियम के प्रगतिरत कार्यो का अवलोकन किया गया। संस्थान में स्थित लायब्रेरी, कम्प्यूटर लैब, मेस, प्रशिक्षण कक्ष इत्यादि का अवलोकन कर संस्थान के आधुनिकीकरण करने हेतु विचार प्रकट किए गये। करमेता स्थित एमजीएसआईआरडी-2 के स्थापना के संबंध में भी सचिव महोदय के द्वारा विस्तृत जानकारी ली गई तथा नए कैम्पस हेतु मानव संसाधन की व्यवस्था हेतु शीघ्र प्रस्ताव तैयार कर प्रेषित किए जाने हेतु निर्देश दिये गये। सचिव महोदय के द्वारा संस्थान में चल रही गतिविधियों के अवलोकन पश्चात् संतोष व्यक्त किया गया।
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एक संरचना से मिली पांच सफलताऐं | |||||||||||||
भोपाल जिले के विकासखण्ड फंदा में स्थित ग्राम शाहपुर, (कुठार) में 100 एकड शासकीय भूमि में लगभग 2000 सागोन के वृक्ष लगे हुए थे जिनकी कोई सुरक्षा न होने के कारण धीरे-धीरे वृक्षों को काटा जाने लगा। इस कारण सागोन का जंगल नष्ट होने लगा। वर्ष 2006-07 में उक्त ग्राम में जलग्रहण मिशन की परियोजना स्वीकृत हुई। परियोजना के अन्तर्गत गठित वाटरशेड कमेटी के माध्यम से जंगल में लगे लगभग 2000 वृक्षों पर नम्बर डाले गये एवं सागोन के जंगल के चारों तरफ लगभग 5-6 फिट गहरी एवं 3-4 फिट चैडी सी.सी.टी (बवदजपदवने बवदजवनत जतमदबी) खोदी गई। इसकी खुदाई में जो मिट्टी निकली उससे बण्ड बनाया गया। बण्ड पर जैट्रोफा के पौधों का वृक्षारोपण किया गया। साथ ही हैमेटा ग्रास का रोपण भी किया गया। |
सी.सी.टी के बन जाने से सागोन के जंगल में गाव के मवेशियों का और गाव वालों का आना-जाना बंद हो गया। लोगों के द्वारा जो पेड़ काटे जा रहे थे उस पर भी पाबंदी लगी। साथ ही चारागाह में वृद्धि हुई। 100 एकड के जंगल में सागोन की सुरक्षा हुई तथा 100 एकड क्षेत्र का पानी ट्रेंचेज में आकर परकोलेट हुआ, जिससे आस-पास के क्षेत्र में नमी रहने लगी व क्षेत्र के जलस्तर में भी बढोतरी हुई। इस प्रकार एक संरचना से 5 प्रकार के लाभ हुए, जैसे वृक्षों का संरक्षण, चारागाह विकास, जलस्तर में वृद्धि, भूमि में नमी एवं बण्ड पर लगाये गये पौधों से अतिरिक्त आय।
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विद्यार्थियों हेतु मोटीवेशन ‘‘YES I CAN’’ कार्यक्रम का आयोजन | |||||||||||||
महात्मा गाधी राज्य ग्रामीण विकास संस्थान, मध्यप्रदेश शासन के ग्रामीण विकास विभाग का संस्थान है। संस्थान में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से जुड़े पंचायतराज प्रतिनिधि और शासकीय क्रियान्वयकों की क्षमतावर्धन के लिए प्रशिक्षण, शोध, मूल्याकंन, नवाचार आदि गतिविधियां सम्पादित की जाती हैं। साथ-साथ अपने सामाजिक दायित्वों को दृष्टिगत रखते हुए विद्यार्थियों हेतु एक प्रस्तुतीकरण का निर्माण किया गया। जो कि विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास एवं उन्हे परीक्षा में अच्छे अंक और परीक्षा के महत्व एवं परीक्षा की तैयारी आदि विषय सम्मिलित किए गए है। इस प्रस्तुतिकरण का मुख्य उद्देश्य विद्यालयीन विद्यार्थियों को इस बात से अवगत कराना है कि यदि जीवन में अपने लक्ष्य एवं सपनों को ध्यान में रखकर किसी भी कार्य को किया जायें तो उसमें सफलता अवश्य प्राप्त होती है। साथ ही साथ जीवन में सफलता एवं असफलता दो पहलू है और हमें दोनों का ही सकारात्मक रूप से स्वागत् करना चाहिए। जनवरी माह के एक नामी अखबार के लेख में बताया गया कि मध्यप्रदेश राज्य के जबलपुर जिले में, परीक्षा उपरान्त सर्वाधिक विद्यार्थियों द्वारा आत्महत्या के मामले सामने आये है। इन्ही सभी मुद्दों को ध्यान में रखते हुए इस प्रस्तुतीकरण को बनाया गया है। वर्तमान की आवश्यकता को द्रष्टिगत रखते हुये, संस्थान द्वारा विद्यार्थियों के मोटीवेशन सत्र ‘‘YES I CAN’’ आयोजित करने की योजना तैयार कर विभिन्न शासकीय एवं अशासकीय विद्यालयों में संचालित की जा रही है।
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यह बात सही है कि, किशोरावस्था में विद्यार्थियों के सर्वागींण विकास में उनके स्वयं की मानसिक और शारीरिक स्थिति के साथ ही साथ परिवार, मित्र, शाला के वातावरण, घर से बाहर के वातावरण का प्रभाव पड़ता है। सामान्यतः किशोर बालक - बालिकाओं में अपने आप को उत्कृष्ठ स्थिति में आने की प्रवृत्ति बढ़ी है। हम इस तथ्य को भी नहीं नकार सकते हैं कि पढ़ाई से मन उचट जाने, गलत मित्रों की संगत, सही दिशा का ज्ञान न होने, धूम्रपान, तम्बाखू, गुटका आदि की गलत आदत बन जाने इत्यादि बहुत सारे कारणों से इस आयुवर्ग के बच्चे दिग्भ्रमित भी हो जाते हैं। बहुत सारे विद्यार्थी एक बार असफल होने पर कुठिंत और निराश हो जाते हैं। बहुत से विद्यार्थियों के मन में परीक्षा का डर भी समाया रहता है। दिनचर्चा के अनियमित रहने, पढ़ाई करने का सही तरीका पता न होने, बुरे मित्रों की संगत आदि के कारणों से अच्छे से अच्छे विद्यार्थियों की पढ़ाई से अरूचि हो जाती है। विद्यार्थी, अध्यापक एवं उनके अभिभावको से चर्चा करने के पश्चात् पूरी स्थिति को दृष्टिगत रखते हुए इस कार्यक्रम की रूपरेखा बनाई गई जिसमें हर तरीके से ध्यान रखा गया कि एक विद्यार्थी को सफल होने में किन किन बातो का ध्यान रखना है एवं पढ़ाई को कैसे रोचक बना सकते है और अपने लक्ष्य को पाने के लिए किस प्रकार के प्रयास कर सकते है। सही दिनचर्या, उचित खान-पान जैसे तत्व उनके विकास में किस प्रकार से सहयोगी हो सकते हैं? इसी प्रकार के सवालों के उत्तर ढूढ़नें का छोटा सा प्रयास महात्मा गाधी राज्य ग्रामीण विकास संस्थान, मध्यप्रदेश, जबलपुर द्वारा किया गया है। इसके लिए संस्थान द्वारा ‘‘मोटीवेशनल’’ सत्र ‘‘YES I CAN’’ की योजना तैयार करके 20 सत्रों का विभिन्न शासकीय/अशासकीय विद्यालयों में प्रस्तुतीकरण दिया गया। जिसमें लगभग 2000 विद्यार्थी लाभान्वित हुये है। यह कार्यक्रम निरन्तर जारी है। सत्र में कक्षा 10 एवं 12वी तक अध्ययनरत विद्यार्थी शामिल थे। सत्र की अवधि लगभग 1 घण्टा थी। सत्र में पावर पाइन्ट प्रजेन्टेशन, अल्पकालिक वीडियो फिल्म, चर्चा-वार्ता विधियों का उपयोग किया गया। सत्र का संयोजन महात्मा गाधी राज्य ग्रामीण विकास संस्थान के संकाय सदस्यों की टीम द्वारा किया जाता है। विद्यालयों के शिक्षक एवं विद्यार्थियों ने इस कार्यक्रम की सराहना की एवं भविष्य में ऐसे कार्यक्रमों को जारी रखने हेतु सुझाव दिये।
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सफलता की कहानी - ग्राम करोंदिया | |||||||||||||
जिले के विकासखण्ड बैरसिया के ग्राम करोंदिया में स्थित पहाड़ी की तलहटी में सी.सी.टी खोदकर उसके माध्यम से पहाड़ी के पानी को ग्राम में ही बने तालाब में डायवर्ट कर तालाब को जीवित किया गया। इसके पूर्व तालाब का कैचमेंट एरिया कम होने से तालाब पूर्ण रूप से भर नहीं पाता था। पहले पहाड़ी से पानी बहकर आस-पास के नदी नालों में चला जाता था, जिसका कोई उपयोग नहीं हो पाता था। कन्टिनयु कन्टूर ट्रेंच बनने के बाद पहाडी के सम्पूर्ण पानी को डायवर्ट कर सीधे तालाब में इकट्ठा किया जाने लगा। बाकी पानी कन्टूर में भरा रहने से आस-पास के क्षेत्र में नमी बनी रहने लगी। इस संरचना के निर्माण के पश्चात् वेस्ट पानी को बचा कर उपयोग में लाया गया। ट्रेंच बनने से पहाडी पर मवेशियों के जाने पर रोक लगने से पहाड़ी पर लगे पेड़ पौधों की सुरक्षा व चारा उत्पादन में वृद्धि हुई। साथ ही आस-पास के क्षेत्र के जलस्तर में भी बढोत्तरी हुई। |
जलग्रहण मिशन अन्तर्गत स्टापडेम कम पुलिया का निर्माण:
जिले में जलग्रहण मिशन की परियोजनाओं के अन्तर्गत समस्त शामिल गावों में एक संरचना स्टापडेम कम पुलिया का निर्माण किया गया है। उक्त संरचना के निर्माण से दो फायदे हुए। एक तो जलसंरक्षण व संवर्धन का कार्य हुआ एवं दूसरा ग्रामीणों के आवागमन की सुविधा भी हुई। उक्त कार्य ग्रामीणों से जुडा होने के कारण सरंचना का रखरखाव भी सही ढंग से किया जा रहा है।
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बदलती तस्वीर | |||||||||||||
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मध्यप्रदेश ग्रामसभा नियम, 2012 | |||||||||||||
ग्राम सभा की समितियों का गठन एवं बैठक
अधिनियम के उपबंधों तथा लागू नियमों तथा सरकार द्वारा समय-समय पर जारी किए गए अनुदेशो के अध्यधीन रहते हुए, स्थायी समिति की निम्नलिखित शक्तियां, कृत्य तथा कर्तव्य होगें, अर्थात:-
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हमारा गाव भी बनेगा तालो का ताल | |||||||||||||
ग्राम कलाखेड़ी की मुख्यालय से दूरी लगभग 25 किमी. है, इस गाव की आबादी लगभग 1200 है , यहा पर लगभग 50 कुए , 65 ट्यूबवेल है , इस गाव में परियोजना प्रारंभ होने के पहले लोग शासन की योजनाओं के लाभ से वंचित थे, लेकिन प्रोजेक्ट प्रारंभ होने के पश्चात् गाव में सभी क्षेत्र में जागरूकता आई है, और गांव में ग्राम सभाओं का आयोजन भी हुआ। परियोजना प्रारंभ होने के पूर्व गांव का वाटर लेवल काफी कम था, किसानो को पलेवा के समय पानी पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पाता था। वर्ष 2006-09 में राजीव गांधी वाटरशेड परियोजना प्रांरभ हुई परियोजना के प्रारंभ में सर्वप्रथम पहाडि़यों पर कंटूर ट्रेंच का कार्य किया गया जिससे कि पानी के बहाव को कम किया गया इसके पश्चात बोल्डर चेकडेम का निर्माण परकोलेशन तालाब फार्म पौंड एवं संकल पौंड का निर्माण किया गया। यूं तो गांव में कुए और तालाब काफी मात्रा में थे किंतु 50 कुए व 65 ट्यूबवेल ऐसे है जिनको सीधे रूप में फायदा हुआ है इन जल श्रोतो के जल स्तर में काफी वृद्धि हुई है जिसके चलते किसानों की भूमि में सीधे रूप में फायदा हुआ हैं, गांव के किसानों को इस परियोजना के चलते काफी लाभ हुआ, इसके अतिरिक्त बाकी किसानों को भी लाभ प्राप्त हुआ हैं। इन किसानों के जल श्रोतो की स्थिति परियोजना पूर्व यह थी कि इनके जलस्त्रोतो में मात्र 5 से 7 घण्टे मोटर चलती थी, इनकी फसलो का औसत उत्पादन 10 से 20 क्विटल प्रति हेक्टर था तथा अपनी भूमि पर पानी की कमी के कारण शेष आधी भूमि में चना मसूर तथा आधी भूमि में गेहूं की फसल लेते थे, लेकिन वाटरशेड परियोजना के पश्चात् कृषकों की भूमि में आश्चर्यजनक परिवर्तन हुए इन किसानो के जलस्त्रोतो में अब 12 से 15 घण्टे मोटर चलती है, सिंचाई पर्याप्त मात्रा में हों जाती है, जिससे इनकी फसलो का औसत |
उत्पादन है, 25 से 30 क्विटल प्रति हेक्टर तक पैदावार में बढोतरी हुई है, तथा किसान अपनी इच्छा अनुसार बोनी करता है, गेहूं की फसल अधिकांश किसान लेने लगे है, इसके साथ ही सब्जियो को भी कुछ किसान अपने खेतो में लगाने लगे है, जिसकी पैदावार भी काफी अच्छी होती है।
वर्तमान स्थिति यह है कि रबी की फसल में वाटर शेड के कार्यो से पूर्व फसल में केवल एक ही पानी दे पाते थे , और कभी-कभी तो वह भी कम वर्षा के होने के कारण नहीं दे पाते थे, वाटरशेड परियोजना में विभिन्न प्रकार की सरंचनाओं के निर्माण के पश्चात् जल स्तर में बढोतरी हुई है व रबी की फसलो में किसान 2 से 3 बार पानी दे देता है , जिससे गाव के किसानो का जीवन स्तर व आर्थिक स्तर ऊपर उठा है, किसान आत्मनिर्भर दिखाई दे रहे हैं, वाटरशेड कमेटी के जल मित्र का मुख्य कार्य जलस्त्रोतो का लेवल हर माह लेना होता है, हर माह जो वाटर लेवल लिया जाता है , वह चौका देने वाला है, परियोजना से पूर्व जिन जलस्त्रोतो में 8 से 10 फिट पानी रहता था, अब उन जलस्त्रोतो में लगभग 14 से 18 फिट पानी देखा जा सकता है, जो टयूबवेल पहले 1/2 से 1 पार्ट चलती थी, अब वह 2 घंटे चलने लगी है, राजीव गांधी वाटरशेड मिशन प्रारंभ होने से गाव के किसानो के साथ-साथ गाव के समग्र विकास को लेकर भी काम किया गया, जिसमें विभिन्न शासकीय योजनाओं की जानकारी समय-समय पर पी.आई.ए. सदस्यो द्वारा दी जाती है, गाव में स्वसहायता समूह की जानकारी किसी को नहीं थी, परियोजना के अन्तर्गत ग्राम कलाखेड़ी में 4 महिला स्वसहायता समूहों का गठन किया गया, जिनका बैंक में खाता खुलवाकर बचत कार्य से जोड़ा गया, इन स्वसहायता समूहो को आत्मनिर्भर बनाने स्वरोजगारो से जोड़ा जा रहा है, इसके अतिरिक्त गाव में साफ-सफाई को लेकर भी अभियान चलाये जा रहे है, स्कूल में बच्चों के साथ स्वच्छता अभियान भी चलाया गया, वाटर शेड परियोजना आने के बाद, ग्रामवासियों के सामाजिक व आर्थिक स्तर में बढोतरी हुई है व लोग अपनी जिम्मेदारी एवं जवाबदेही को समझने लगे है।
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महिला सशक्तीकरण विषय पर ग्राम पंचायत की महिला पंचों का प्रशिक्षण | |||||||||||||
प्रशिक्षण आवश्यकता :
प्रदेश में बड़ी संख्या में पंचायतों में महिला प्रतिनिधि अपने दायित्वों का निर्वहन कर रही हैं। वर्ष 2010 में पंचायत प्रतिनिधियों का दिशाभिमुखीकरण प्रशिक्षण सम्पन्न किया गया था। प्रशिक्षण आवश्यकताओं के आधार पर महिला पंचायत प्रतिनिधियों का प्रशिक्षण सितम्बर 2012 से प्रारंभ किया गया। प्रशिक्षण के तीन दिवसीय कार्यक्रम में पंचायत के कामकाज में महिला पंचों की भागीदारी, महिलाओं के सशक्तीकरण, महिलाओं से जुड़े कानून इत्यादि विषयों को सम्मिलित किया गया था। प्रशिक्षण में पंचायतराज की अवधारणा एवं ऐतिहासिक पृष्ठ-भूमि, सुशासन, अधिनियम के तहत् जनपद एवं ग्राम पंचायत तथा प्रतिनिधियो के अधिकार एवं उत्तरदायित्व तथा उसकी सीमाएं, ग्राम सभा - अवधारणा, बैठक, कार्य एवं शक्तियां, |
पंचायत की बैठक प्रक्रिया, कार्यालयीन व्यवस्था, पत्राचार एवं प्रतिवेदन तथा विभिन्न कार्यालयों से समन्वय, विभिन्न विभागों द्वारा पंचायत को सौंपे गये कार्य, कार्ययोजना बनाने की प्रक्रिया, बजट क्या? बजट बनाने की प्रक्रिया एवं बजट बनाते समय ध्यान में रखने वाली बातें, नेतृत्व एवं सम्प्रेषण कौशल, समन्वय विभिन्न स्तरों एवं व्यक्तियों से, जेण्डर एवं महिला अत्याचार निवारक कानून 2006 आदि विषयों को सम्मिलित किया गया है।
प्रशिक्षण का क्रियान्वयन :
माह जनवरी 2013 तक की अवधि में लगभग 135726 महिला पंचो को प्रशिक्षित कर दिया गया है। शेष महिला पंचों का प्रशिक्षण प्रचलन में है।
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