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त्रैमासिक - दसवाँ संस्करण (तृतीय वर्ष) जनवरी, 2013
अनुक्रमणिका हमारा संस्थान
  1. सचिव महोदय, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग का संस्थान में आगमन
  2. अपनी बात ....
  3. महिलाओं का बदला नजरिया
  4. एक संरचना से मिली पांच सफलताऐं
  5. विद्यार्थियों हेतु मोटीवेशन "Yes I Can" कार्यक्रम का आयोजन
  6. सफलता की कहानी - ग्राम करोंदिया
  7. बदलती तस्वीर (चित्र कथा)
  8. मध्यप्रदेश ग्रामसभा नियम, 2012
  9. हमारा गाव भी बनेगा तालो का ताल
  10. महिला सशक्तीकरण विषय पर ग्राम पंचायत की महिला पंचों का प्रशिक्षण

सचिव महोदय, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग का संस्थान में आगमन

संस्थान में, डा.राजेश राजौरा, सचिव, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, मध्यप्रदेश शासन का दिनांक 18 दिस. 2012 को प्रथम आगमन हुआ। सचिव महोदय की अध्यक्षता में समीक्षा बैठक सम्पन्न हुई। बैठक में संस्थान की ओर से श्री संजीव सिन्हा, उपसंचालक के द्वारा संस्थान की प्रशिक्षण गतिविधियों, कामकाज और भविष्य की कार्ययोजना के संबंध में विस्तृत प्रस्तुतीकरण कर सचिव महोदय को अवगत कराया गया। सचिव महोदय के द्वारा संस्थान में संचालित गतिविधियों की जानकारी लेते हुये, संस्थान के प्रशिक्षण कार्यक्रम एवं संबंधित अन्य गतिविधियों को दक्षतापूर्वक एवं प्रभावी ढंग से करने के लिये उपयोगी सुझाव एवं मार्गदर्शन दिया गया। समीक्षा बैठक में उपसंचालक के अतिरिक्त संस्था में कार्यरत अन्य अधिकारीगण एवं संकाय सदस्यों ने भी हिस्सा लिया। सचिव महोदय ने संस्थान के संकाय सदस्यों के क्षमता विकास संबंधी गतिविधियों की जानकारी लेते हुये, प्रशिक्षण संचालन में संकाय सदस्यों की दक्षता एवं प्रभाविकता की आवश्यकता पर बल दिया।

संस्थान परिसर का भ्रमण करते हुये, उनके द्वारा संस्थान के सौंदर्यीकरण हेतु किए गये कार्यो का मुआयना किया गया। संस्थान में आर.ई.एस. एवं लघु उद्योग निगम के माध्यम से कराये जा रहे छात्रावास निर्माण एवं आडीटोरियम के प्रगतिरत कार्यो का अवलोकन किया गया। संस्थान में स्थित लायब्रेरी, कम्प्यूटर लैब, मेस, प्रशिक्षण कक्ष इत्यादि का अवलोकन कर संस्थान के आधुनिकीकरण करने हेतु विचार प्रकट किए गये। करमेता स्थित एमजीएसआईआरडी-2 के स्थापना के संबंध में भी सचिव महोदय के द्वारा विस्तृत जानकारी ली गई तथा नए कैम्पस हेतु मानव संसाधन की व्यवस्था हेतु शीघ्र प्रस्ताव तैयार कर प्रेषित किए जाने हेतु निर्देश दिये गये। सचिव महोदय के द्वारा संस्थान में चल रही गतिविधियों के अवलोकन पश्चात् संतोष व्यक्त किया गया।


  अनुक्रमणिका  
सफलता की कहानी - महिलाओं का बदला नजरिया
अपनी बात .....


पहल का दसवां संस्करण आपके सम्मुख हैं। यह संस्करण वाटरशेड मिशन अन्तर्गत कराये गये विकास कार्यों से, गाँवों में छाई हरियाली और लोगों को मिली खुशहाली को समर्पित है।

इस संस्करण में बदलती तस्वीर चित्रकथा के माध्यम से पंचायत द्वारा वाटरशेड की विभिन्न विधियों को अपनाकर, जल-संरक्षण के साथ बंजर हो चली जमीन को उर्वरक बनाकर ग्रामीण जनों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने की प्रेरणा को जागृत करने का प्रयास है।

यह संस्थान शासन की प्रशिक्षण आवश्यकताओं की पूर्ति का कार्य सम्पन्न करता है। इसके साथ संस्थान ने सामाजिक दायित्यों में सहयोग देने हेतु, पाठशाला स्तरीय विधार्थियों को वर्तमान परिस्थितियों में भी जीवटता के साथ जीवन जीने की प्रेरणा देने वाले कार्यक्रम "YES I CAN" की शुरूवात शासकीय एवं अशासकीय विधालयों में प्रारम्भ की है, जिसे विद्यार्थी, अभिभावक एवं अध्यापकों से भरपूर सराहना मिल रही है।

हमें उम्मीद है शासन की योजनाओं से समाज में आये परिवर्तन को व्यक्त करता यह संस्करण आपकी आशाओं के अनुकूल रूचिकर लगेगा।

आपकी प्रतिक्रियायें पहल के प्रकाशन की निरन्तरता बनाये रखती है। कृपया हमें अपनी प्रतिक्रियायें अवश्य भेजें।



निलेश परीख
संचालक

ग्राम बरखेड़ा सालम मुख्यालय से करीब 15 किमी. की दूरी पर स्थित है, इस गाव की आबादी लगभग 2050 है, इस गाव में 185 ए.पी एल. एवं 130 बी.पी.एल परिवार है। ग्राम में कुल 315 परिवार निवास करते है , सामाजिक दृष्टि से इस गाव में सभी समाज के लोग निवास करते है, इस गाव में कक्षा 8 वी तक स्कूल है, गाव में 2 आंगन बाड़ी केन्द्र, पंचायत भवन, ग्राम स्वराज भवन भी है, गाव के सरपंच श्री हिम्मत सिंह मेवाड़ा है।

वाटर शेड समिति के अध्यक्ष श्री ओमप्रकाश मेवाड़ा है , इस गाव में वर्ष 2006-07 से राजीव गांधी जल ग्रहण प्रबंधन मिशन योजना प्रारंभ हुई, योजना प्रारम्भ होने के पूर्व गाव में महिलाओं की स्थिति विशेषकर रोजगार को लेकर अत्यंत दयनीय थी व महिलाए स्वयं पर आधारित नहीं थीं न ही महिलाए ग्राम सभा एवं ग्राम पंचायतों की बैठक में अपना योगदान देती थीं।

यह योजना प्रारंभ होने के बाद महिलाओं की स्थिति एवं रोजगार दिलाने हेतु महिला स्वसहायता समूह का गठन किया गया। समूहो में-कनकेश्वरी देवी स्वसहायता समूह, भक्ति आराधना समूह, शांति स्वसहायता समूह का गठन किया गया हैं। इन समूह की महिलाओं को स्वसहायता समूह गठन के लाभ एवं इससे क्या फायदा होता है इसकी विस्तार पूर्वक जानकारियां प्रदान की गई, इन समूहो में से कनकेश्वरी देवी स्वसहायता समूह की महिलाओ ने सिंलाई सीखने के लिए सिलाई सेंन्टर खोलने को कहा , वाटर शेड समिति के सदस्यो ने इस विषय को गंभीरता पूर्वक लेते हुए वाटर शेड कमेटी के प्रस्ताव में रखा व पी.आई.ए सदस्यो को इसकी जानकारी दी। इस सिलाई सेन्टर में स्वसहायता समूह की 15 महिलाओं ने सिलाई प्रशिक्षण करीब 3 माह तक प्राप्त किया, और सिलाई करना सीखी।

वाटर शेड समिति ने प्रस्ताव बनाकर परियोजना अधिकारी को मशीन खरीदने हेतु प्रस्ताव दिया। परियोजना अधिकारी द्वारा महिलाओ को ऋण दिया गया जिससे महिलाओं ने सिलाई मशीन खरीदी। आज ये महिलाऐं अपने घर पर ही सिलाई का काम करती है। सर्व प्रथम शासकीय स्कूल की छात्राओ के गणवेश का कार्य स्वसहायता समूह को मिला व महिलाओं द्वारा ही बालिकाओं की गणवेश की सिलाई कर स्कूल की यूनीफार्म बनाई गई है। इससे पहले गणवेश दूसरे गाव से सिलवाई जाती थी। सिलाई सीखने से महिलाओं को स्वयं का रोजगार प्राप्त हुआ है व उनकी आर्थिक आय में वृद्वि हुई है, उनके जीवन में भी सुधार हुआ है। गाव के स्कूल में 150 छात्राए है, शासन द्वारा हर छात्रा को गणवेश दी जाती है, इस प्रकार से 300 गणवेश स्वसहायता समूह कि महिलाओ द्वारा बनाई गई। 30 रूपये प्रति गणवेश के मान से 9,000/- रूपये की आय स्वसहायता समूह की महिलाओं को हुई है, गाव की छात्राओं को समय पर गणवेश भी प्राप्त हुर्ह है। इस प्रकार ग्राम बरखेड़ा सालम की महिलाओं को एक अच्छा रोजगार प्राप्त हुआ व वाटर शेड के माध्यम से एक अच्छी पहल गांव में हुई है। गाव के अलावा आस-पास के गाव के स्कूल के भी गणवेश इन महिलाओं के द्वारा बनाए जाते हैं।



श्रीमती प्रीति गुप्ता,
प्राचार्य ई.टी.सी. भोपाल


अनुक्रमणिका  
एक संरचना से मिली पांच सफलताऐं

ग्राम शाहपुर - (कुठार)

भोपाल जिले के विकासखण्ड फंदा में स्थित ग्राम शाहपुर, (कुठार) में 100 एकड शासकीय भूमि में लगभग 2000 सागोन के वृक्ष लगे हुए थे जिनकी कोई सुरक्षा न होने के कारण धीरे-धीरे वृक्षों को काटा जाने लगा। इस कारण सागोन का जंगल नष्ट होने लगा।

वर्ष 2006-07 में उक्त ग्राम में जलग्रहण मिशन की परियोजना स्वीकृत हुई। परियोजना के अन्तर्गत गठित वाटरशेड कमेटी के माध्यम से जंगल में लगे लगभग 2000 वृक्षों पर नम्बर डाले गये एवं सागोन के जंगल के चारों तरफ लगभग 5-6 फिट गहरी एवं 3-4 फिट चैडी सी.सी.टी (बवदजपदवने बवदजवनत जतमदबी) खोदी गई। इसकी खुदाई में जो मिट्टी निकली उससे बण्ड बनाया गया। बण्ड पर जैट्रोफा के पौधों का वृक्षारोपण किया गया। साथ ही हैमेटा ग्रास का रोपण भी किया गया।

सी.सी.टी के बन जाने से सागोन के जंगल में गाव के मवेशियों का और गाव वालों का आना-जाना बंद हो गया। लोगों के द्वारा जो पेड़ काटे जा रहे थे उस पर भी पाबंदी लगी। साथ ही चारागाह में वृद्धि हुई। 100 एकड के जंगल में सागोन की सुरक्षा हुई तथा 100 एकड क्षेत्र का पानी ट्रेंचेज में आकर परकोलेट हुआ, जिससे आस-पास के क्षेत्र में नमी रहने लगी व क्षेत्र के जलस्तर में भी बढोतरी हुई। इस प्रकार एक संरचना से 5 प्रकार के लाभ हुए, जैसे वृक्षों का संरक्षण, चारागाह विकास, जलस्तर में वृद्धि, भूमि में नमी एवं बण्ड पर लगाये गये पौधों से अतिरिक्त आय।





  अनुक्रमणिका  
अशोक गोयल
संकाय सदस्य, ई.टी.सी. भोपाल
विद्यार्थियों हेतु मोटीवेशन ‘‘YES I CAN’’ कार्यक्रम का आयोजन

महात्मा गाधी राज्य ग्रामीण विकास संस्थान, मध्यप्रदेश शासन के ग्रामीण विकास विभाग का संस्थान है। संस्थान में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से जुड़े पंचायतराज प्रतिनिधि और शासकीय क्रियान्वयकों की क्षमतावर्धन के लिए प्रशिक्षण, शोध, मूल्याकंन, नवाचार आदि गतिविधियां सम्पादित की जाती हैं। साथ-साथ अपने सामाजिक दायित्वों को दृष्टिगत रखते हुए विद्यार्थियों हेतु एक प्रस्तुतीकरण का निर्माण किया गया। जो कि विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास एवं उन्हे परीक्षा में अच्छे अंक और परीक्षा के महत्व एवं परीक्षा की तैयारी आदि विषय सम्मिलित किए गए है। इस प्रस्तुतिकरण का मुख्य उद्देश्य विद्यालयीन विद्यार्थियों को इस बात से अवगत कराना है कि यदि जीवन में अपने लक्ष्य एवं सपनों को ध्यान में रखकर किसी भी कार्य को किया जायें तो उसमें सफलता अवश्य प्राप्त होती है। साथ ही साथ जीवन में सफलता एवं असफलता दो पहलू है और हमें दोनों का ही सकारात्मक रूप से स्वागत् करना चाहिए।

जनवरी माह के एक नामी अखबार के लेख में बताया गया कि मध्यप्रदेश राज्य के जबलपुर जिले में, परीक्षा उपरान्त सर्वाधिक विद्यार्थियों द्वारा आत्महत्या के मामले सामने आये है। इन्ही सभी मुद्दों को ध्यान में रखते हुए इस प्रस्तुतीकरण को बनाया गया है। वर्तमान की आवश्यकता को द्रष्टिगत रखते हुये, संस्थान द्वारा विद्यार्थियों के मोटीवेशन सत्र ‘‘YES I CAN’’ आयोजित करने की योजना तैयार कर विभिन्न शासकीय एवं अशासकीय विद्यालयों में संचालित की जा रही है।


  • हम सब विद्यार्थी है और उम्र भर हमें परीक्षाओं से गुजरना होता है और इससे डरने की जरूरत नहीं है।
  • हर विषय को सही तरीके से, क्रमबद्ध रूप से, योजनाबद्ध तरीके से
  • हम सभी के आस-पास भृमित करने वाली बहुत बातें होती हैं।
  • परीक्षा सबको देनी पड़ती है।
  • परीक्षा का डर, वो क्या है? अध्ययन को रोचक समझने पर।
  • विश्वास रखें कि आप कर सकते हैं।
  • समझें ये मुश्किल नहीं है। स्वयं को समझें, अपने चियरलीडर खुद बनें।
  • परीक्षा के महत्व को समझें और अपने सपनों को उससे जोड़कर देखें।
  • एक सवाल, परीक्षा की तैयारी कैंसे करें?
  • परीक्षा की तैयारी और उसमें सफल होने के सूत्र।
  • अपने लक्ष्य के प्रति केन्द्रित रहें। स्वयं को खुश रखें। खुशियाँ, स्वयं को स्वस्थ रखें। अभिभावकों से मदद। अभिभावकों से बात करें और भावनात्मक सहयोग लें। टीचर्स से मदद। मित्रों से मदद।
  • समय सारणी बनाये। उचित आहार। संतुलित एवं पौष्टिक आहार के लाभ। वो खाना जिससे दूर रहें। जंक फूड के नुकसान।
  • टी.व्ही. देखने और कम्प्यूटर का समय सीमित करें, मोबाईल और सोशल नेटवर्किंग साईट्स से दूरी बनाये रखें। परीक्षा परिणाम के बारे में ज्यादा न सोचें।

यह बात सही है कि, किशोरावस्था में विद्यार्थियों के सर्वागींण विकास में उनके स्वयं की मानसिक और शारीरिक स्थिति के साथ ही साथ परिवार, मित्र, शाला के वातावरण, घर से बाहर के वातावरण का प्रभाव पड़ता है। सामान्यतः किशोर बालक - बालिकाओं में अपने आप को उत्कृष्ठ स्थिति में आने की प्रवृत्ति बढ़ी है। हम इस तथ्य को भी नहीं नकार सकते हैं कि पढ़ाई से मन उचट जाने, गलत मित्रों की संगत, सही दिशा का ज्ञान न होने, धूम्रपान, तम्बाखू, गुटका आदि की गलत आदत बन जाने इत्यादि बहुत सारे कारणों से इस आयुवर्ग के बच्चे दिग्भ्रमित भी हो जाते हैं। बहुत सारे विद्यार्थी एक बार असफल होने पर कुठिंत और निराश हो जाते हैं। बहुत से विद्यार्थियों के मन में परीक्षा का डर भी समाया रहता है। दिनचर्चा के अनियमित रहने, पढ़ाई करने का सही तरीका पता न होने, बुरे मित्रों की संगत आदि के कारणों से अच्छे से अच्छे विद्यार्थियों की पढ़ाई से अरूचि हो जाती है।

विद्यार्थी, अध्यापक एवं उनके अभिभावको से चर्चा करने के पश्चात् पूरी स्थिति को दृष्टिगत रखते हुए इस कार्यक्रम की रूपरेखा बनाई गई जिसमें हर तरीके से ध्यान रखा गया कि एक विद्यार्थी को सफल होने में किन किन बातो का ध्यान रखना है एवं पढ़ाई को कैसे रोचक बना सकते है और अपने लक्ष्य को पाने के लिए किस प्रकार के प्रयास कर सकते है। सही दिनचर्या, उचित खान-पान जैसे तत्व उनके विकास में किस प्रकार से सहयोगी हो सकते हैं? इसी प्रकार के सवालों के उत्तर ढूढ़नें का छोटा सा प्रयास महात्मा गाधी राज्य ग्रामीण विकास संस्थान, मध्यप्रदेश, जबलपुर द्वारा किया गया है।

इसके लिए संस्थान द्वारा ‘‘मोटीवेशनल’’ सत्र ‘‘YES I CAN’’ की योजना तैयार करके 20 सत्रों का विभिन्न शासकीय/अशासकीय विद्यालयों में प्रस्तुतीकरण दिया गया। जिसमें लगभग 2000 विद्यार्थी लाभान्वित हुये है। यह कार्यक्रम निरन्तर जारी है। सत्र में कक्षा 10 एवं 12वी तक अध्ययनरत विद्यार्थी शामिल थे। सत्र की अवधि लगभग 1 घण्टा थी। सत्र में पावर पाइन्ट प्रजेन्टेशन, अल्पकालिक वीडियो फिल्म, चर्चा-वार्ता विधियों का उपयोग किया गया। सत्र का संयोजन महात्मा गाधी राज्य ग्रामीण विकास संस्थान के संकाय सदस्यों की टीम द्वारा किया जाता है। विद्यालयों के शिक्षक एवं विद्यार्थियों ने इस कार्यक्रम की सराहना की एवं भविष्य में ऐसे कार्यक्रमों को जारी रखने हेतु सुझाव दिये।





  अनुक्रमणिका  
सफलता की कहानी - ग्राम करोंदिया

जिले के विकासखण्ड बैरसिया के ग्राम करोंदिया में स्थित पहाड़ी की तलहटी में सी.सी.टी खोदकर उसके माध्यम से पहाड़ी के पानी को ग्राम में ही बने तालाब में डायवर्ट कर तालाब को जीवित किया गया। इसके पूर्व तालाब का कैचमेंट एरिया कम होने से तालाब पूर्ण रूप से भर नहीं पाता था। पहले पहाड़ी से पानी बहकर आस-पास के नदी नालों में चला जाता था, जिसका कोई उपयोग नहीं हो पाता था। कन्टिनयु कन्टूर ट्रेंच बनने के बाद पहाडी के सम्पूर्ण पानी को डायवर्ट कर सीधे तालाब में इकट्ठा किया जाने लगा। बाकी पानी कन्टूर में भरा रहने से आस-पास के क्षेत्र में नमी बनी रहने लगी।

इस संरचना के निर्माण के पश्चात् वेस्ट पानी को बचा कर उपयोग में लाया गया। ट्रेंच बनने से पहाडी पर मवेशियों के जाने पर रोक लगने से पहाड़ी पर लगे पेड़ पौधों की सुरक्षा व चारा उत्पादन में वृद्धि हुई। साथ ही आस-पास के क्षेत्र के जलस्तर में भी बढोत्तरी हुई।

जलग्रहण मिशन अन्तर्गत स्टापडेम कम पुलिया का निर्माण:

जिले में जलग्रहण मिशन की परियोजनाओं के अन्तर्गत समस्त शामिल गावों में एक संरचना स्टापडेम कम पुलिया का निर्माण किया गया है। उक्त संरचना के निर्माण से दो फायदे हुए। एक तो जलसंरक्षण व संवर्धन का कार्य हुआ एवं दूसरा ग्रामीणों के आवागमन की सुविधा भी हुई। उक्त कार्य ग्रामीणों से जुडा होने के कारण सरंचना का रखरखाव भी सही ढंग से किया जा रहा है।





  अनुक्रमणिका  
राजेन्द्र पाराशर
संकाय सदस्य, ई.टी.सी. भोपाल
बदलती तस्वीर

  अनुक्रमणिका  
मध्यप्रदेश ग्रामसभा नियम, 2012

ग्राम सभा की समितियों का गठन एवं बैठक
  • नियम के अनुसार ग्राम सभा की ग्राम निर्माण तथा ग्राम विकास समिति तथा समयबद्ध कार्य के लिए तदर्थ समितियों का गठन किया जावेगा।
  • प्रत्येक स्थायी समिति ग्राम सभा के पाच सदस्यों से मिल कर बनेगी। सरपंच सभापति तथा उपसरपंच उपसभापति होगें। संबंधित ग्राम सभा का एक पंच, अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति या अन्य पिछड़े वर्ग के व्यक्तियों में से एक सदस्य, एक महिला सदस्य समिति के सदस्य होगें।
  • प्रत्येक स्थाई समिति का सचिव ग्राम पंचायत का सचिव होगा।
  • स्थायी समिति के सदस्यों की पदावधि वही होगी, जो संबंधित ग्राम पंचायत के सदस्यों की है।
  • स्थायी समिति का सभापति, उतनी बार जितनी बार कि वह आवश्यक समझे, स्थायी समिति का सम्मिलन बुलाने के लिए सशक्त होगा परन्तु माह में कम से कम एक सम्मिलन अवश्य होगा।
  • स्थायी समिति के कम से कम पचास प्रतिशत सदस्यों द्वारा सम्यक् रूप से हस्ताक्षरित लिखित अध्यपेक्षा प्राप्त होने पर सभा विशेष सम्मिलन बुला सकेगा।
  • ग्राम सभा, अधिनियम की धारा 7 - क की उपधारा (1) में उल्लिखित स्थायी समिति के अतिरिक्त किसी समयबद्ध कार्य के कार्यान्वयन के लिये शासन या कलेक्टर से प्राप्त निर्देशों के अनुरूप तदर्थ समिति का गठन कर सकेगी। तदर्थ समिति में उतनी संख्या में सदस्य हो सकेगें जितने की ग्राम सभा अथवा सरकार द्वारा निर्दिश्ट किए जाएं।

स्थायी समिति की शक्तियां, कृत्य तथा कर्तव्य:

अधिनियम के उपबंधों तथा लागू नियमों तथा सरकार द्वारा समय-समय पर जारी किए गए अनुदेशो के अध्यधीन रहते हुए, स्थायी समिति की निम्नलिखित शक्तियां, कृत्य तथा कर्तव्य होगें, अर्थात:-

  • कागज पत्र, पत्र दस्तावेज तथा अन्य जानकारी उसी रीति में तथा उसी प्रकार से मंगाए जाना जिस रीति में कि ग्राम सभा को मंगाने की शक्ति है।

  • परिचालन क्षेत्रों के भीतर विभागों, स्कीमों, कार्यक्रमों और संनिर्माण का पर्यवेक्षण करना तथा ग्राम सभा को सामाजिक संपरीक्षा करने में सहायता प्रदान करना।
  • प्रत्येक स्थायी समिति को, शासकीय सेवक के कार्य का निरीक्षण तथा पर्यवेक्षण करने की तथा यदि वह अपने कर्तव्यों से नियमित रूप से अनुपस्थित पाया जाता है तो संबंधित शासकीय सेवक का वेतन रोकने की शक्ति होगी।
  • राज्य सरकार, जिला पंचायत, जनपद पंचायत तथा ग्राम पंचायत द्वारा समय-समय पर यथानिर्देशित कार्य करना या उसे कार्यान्वित करना।
  • स्थायी समिति ग्राम सभा के प्रति उत्तरदायी होगी।
ग्राम निर्माण समिति :
  1. ग्राम निर्माण समिति 5 लाख (पाच लाख) रूपये तक के संनिर्माण कार्य करेगी तथा ग्राम पंचायत के लिए संनिर्माण अभिकरण के रूप में कार्य करेगी और ग्राम पंचायत या ग्राम सभा के पर्यवेक्षण तथा अनुदेशो के अधीन कार्य करेगी।
  2. ग्राम सभा द्वारा अनुमोदन किए जाने के पश्चात ग्राम सभा के क्षेत्र में सभी प्रकार के संनिर्माण कार्य।
  3. संनिर्माण कार्य पर उपगत हुए व्यय को उसके अनुमोदन के लिये ग्राम सभा के आगामी सम्मिलन में प्रस्तुत किया जाएगा।
  4. ग्राम निर्माण समिति तथा ग्राम पंचायत की विकास समिति संनिर्माण कार्य की नियमित प्रगति रिपोर्ट तथा मासिक व्यय कि बिन्दुवार ब्यौरे प्रस्तुत करने के प्रति उत्तरदायी होगी।
  5. ग्राम निर्माण समिति समस्त संनिर्माण कार्यो की एक समेकित प्रगति रिपोर्ट ग्राम सभा को प्रस्तुत करेगी।
  6. अधिनियम की धारा 7-ट में यथा विनिर्दिष्ट समस्त संबंधित निर्माण कार्य की जानकारी प्रस्तुत करने के लिये तथा दस्तावेज, तकनीकी मूल्याकंन तथा संपरीक्षा कार्य के प्रति उत्तरदायी होगी।
  7. अन्य समस्त मामले जो ग्राम सभा द्वारा ग्राम निर्माण समिति को सौंपे जाएं।
ग्राम विकास समिति:
  • ग्राम विकास, ग्रामीण विकास कार्यक्रम, योजना, बजट, वित्त, लेखा, कराधान से संबंधित समस्त मामले तथा लोक संपदा, कृषि, लोक स्वास्थ्य, ग्राम सुरक्षा, ग्रामीण अधोसरंचना अर्थात, ग्रामीण संचार, ग्रामीण आवास आदि और प्राथमिक शिक्षा तथा साक्षरता एवं वे विषय जो ग्राम निर्माण समिति को आवंटित किए गए कार्यो में नहीं आते हों।
  • अन्य समस्त मामले जो ग्राम सभा द्वारा इसे सौंपे जाएं।




  अनुक्रमणिका  
संजय राजपूत
संकाय सदस्य, जबलपुर
हमारा गाव भी बनेगा तालो का ताल

ग्राम कलाखेड़ी की मुख्यालय से दूरी लगभग 25 किमी. है, इस गाव की आबादी लगभग 1200 है , यहा पर लगभग 50 कुए , 65 ट्यूबवेल है , इस गाव में परियोजना प्रारंभ होने के पहले लोग शासन की योजनाओं के लाभ से वंचित थे, लेकिन प्रोजेक्ट प्रारंभ होने के पश्चात् गाव में सभी क्षेत्र में जागरूकता आई है, और गांव में ग्राम सभाओं का आयोजन भी हुआ। परियोजना प्रारंभ होने के पूर्व गांव का वाटर लेवल काफी कम था, किसानो को पलेवा के समय पानी पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पाता था।

वर्ष 2006-09 में राजीव गांधी वाटरशेड परियोजना प्रांरभ हुई परियोजना के प्रारंभ में सर्वप्रथम पहाडि़यों पर कंटूर ट्रेंच का कार्य किया गया जिससे कि पानी के बहाव को कम किया गया इसके पश्चात बोल्डर चेकडेम का निर्माण परकोलेशन तालाब फार्म पौंड एवं संकल पौंड का निर्माण किया गया।

यूं तो गांव में कुए और तालाब काफी मात्रा में थे किंतु 50 कुए व 65 ट्यूबवेल ऐसे है जिनको सीधे रूप में फायदा हुआ है इन जल श्रोतो के जल स्तर में काफी वृद्धि हुई है जिसके चलते किसानों की भूमि में सीधे रूप में फायदा हुआ हैं, गांव के किसानों को इस परियोजना के चलते काफी लाभ हुआ, इसके अतिरिक्त बाकी किसानों को भी लाभ प्राप्त हुआ हैं। इन किसानों के जल श्रोतो की स्थिति परियोजना पूर्व यह थी कि इनके जलस्त्रोतो में मात्र 5 से 7 घण्टे मोटर चलती थी, इनकी फसलो का औसत उत्पादन 10 से 20 क्विटल प्रति हेक्टर था तथा अपनी भूमि पर पानी की कमी के कारण शेष आधी भूमि में चना मसूर तथा आधी भूमि में गेहूं की फसल लेते थे, लेकिन वाटरशेड परियोजना के पश्चात् कृषकों की भूमि में आश्चर्यजनक परिवर्तन हुए इन किसानो के जलस्त्रोतो में अब 12 से 15 घण्टे मोटर चलती है, सिंचाई पर्याप्त मात्रा में हों जाती है, जिससे इनकी फसलो का औसत

उत्पादन है, 25 से 30 क्विटल प्रति हेक्टर तक पैदावार में बढोतरी हुई है, तथा किसान अपनी इच्छा अनुसार बोनी करता है, गेहूं की फसल अधिकांश किसान लेने लगे है, इसके साथ ही सब्जियो को भी कुछ किसान अपने खेतो में लगाने लगे है, जिसकी पैदावार भी काफी अच्छी होती है।

वर्तमान स्थिति यह है कि रबी की फसल में वाटर शेड के कार्यो से पूर्व फसल में केवल एक ही पानी दे पाते थे , और कभी-कभी तो वह भी कम वर्षा के होने के कारण नहीं दे पाते थे, वाटरशेड परियोजना में विभिन्न प्रकार की सरंचनाओं के निर्माण के पश्चात् जल स्तर में बढोतरी हुई है व रबी की फसलो में किसान 2 से 3 बार पानी दे देता है , जिससे गाव के किसानो का जीवन स्तर व आर्थिक स्तर ऊपर उठा है, किसान आत्मनिर्भर दिखाई दे रहे हैं, वाटरशेड कमेटी के जल मित्र का मुख्य कार्य जलस्त्रोतो का लेवल हर माह लेना होता है, हर माह जो वाटर लेवल लिया जाता है , वह चौका देने वाला है, परियोजना से पूर्व जिन जलस्त्रोतो में 8 से 10 फिट पानी रहता था, अब उन जलस्त्रोतो में लगभग 14 से 18 फिट पानी देखा जा सकता है, जो टयूबवेल पहले 1/2 से 1 पार्ट चलती थी, अब वह 2 घंटे चलने लगी है, राजीव गांधी वाटरशेड मिशन प्रारंभ होने से गाव के किसानो के साथ-साथ गाव के समग्र विकास को लेकर भी काम किया गया, जिसमें विभिन्न शासकीय योजनाओं की जानकारी समय-समय पर पी.आई.ए. सदस्यो द्वारा दी जाती है, गाव में स्वसहायता समूह की जानकारी किसी को नहीं थी, परियोजना के अन्तर्गत ग्राम कलाखेड़ी में 4 महिला स्वसहायता समूहों का गठन किया गया, जिनका बैंक में खाता खुलवाकर बचत कार्य से जोड़ा गया, इन स्वसहायता समूहो को आत्मनिर्भर बनाने स्वरोजगारो से जोड़ा जा रहा है, इसके अतिरिक्त गाव में साफ-सफाई को लेकर भी अभियान चलाये जा रहे है, स्कूल में बच्चों के साथ स्वच्छता अभियान भी चलाया गया, वाटर शेड परियोजना आने के बाद, ग्रामवासियों के सामाजिक व आर्थिक स्तर में बढोतरी हुई है व लोग अपनी जिम्मेदारी एवं जवाबदेही को समझने लगे है।





  अनुक्रमणिका  
अशोक गोयल
संकाय सदस्य, ई.टी.सी. भोपाल
महिला सशक्तीकरण विषय पर ग्राम पंचायत की महिला पंचों का प्रशिक्षण

प्रशिक्षण आवश्यकता :

प्रदेश में बड़ी संख्या में पंचायतों में महिला प्रतिनिधि अपने दायित्वों का निर्वहन कर रही हैं। वर्ष 2010 में पंचायत प्रतिनिधियों का दिशाभिमुखीकरण प्रशिक्षण सम्पन्न किया गया था। प्रशिक्षण आवश्यकताओं के आधार पर महिला पंचायत प्रतिनिधियों का प्रशिक्षण सितम्बर 2012 से प्रारंभ किया गया। प्रशिक्षण के तीन दिवसीय कार्यक्रम में पंचायत के कामकाज में महिला पंचों की भागीदारी, महिलाओं के सशक्तीकरण, महिलाओं से जुड़े कानून इत्यादि विषयों को सम्मिलित किया गया था।

प्रशिक्षण के विषय :

प्रशिक्षण में पंचायतराज की अवधारणा एवं ऐतिहासिक पृष्ठ-भूमि, सुशासन, अधिनियम के तहत् जनपद एवं ग्राम पंचायत तथा प्रतिनिधियो के अधिकार एवं उत्तरदायित्व तथा उसकी सीमाएं, ग्राम सभा - अवधारणा, बैठक, कार्य एवं शक्तियां,

पंचायत की बैठक प्रक्रिया, कार्यालयीन व्यवस्था, पत्राचार एवं प्रतिवेदन तथा विभिन्न कार्यालयों से समन्वय, विभिन्न विभागों द्वारा पंचायत को सौंपे गये कार्य, कार्ययोजना बनाने की प्रक्रिया, बजट क्या? बजट बनाने की प्रक्रिया एवं बजट बनाते समय ध्यान में रखने वाली बातें, नेतृत्व एवं सम्प्रेषण कौशल, समन्वय विभिन्न स्तरों एवं व्यक्तियों से, जेण्डर एवं महिला अत्याचार निवारक कानून 2006 आदि विषयों को सम्मिलित किया गया है। प्रशिक्षण का क्रियान्वयन :
  • चिहिन्त स्वंय सेवी संस्थाओं के माध्यम से महिला पंचों का प्रशिक्षण सम्पन्न किया जा रहा है।
  • स्वंय सेवी संस्थाओं के द्वारा नामांकित प्रशिक्षण का प्रशिक्षण एसआईआरडी जबलपुर एवं ईटीसी में किया गया।
  • प्रशिक्षित प्रशिक्षकों द्वारा ग्राम पंचायतों के क्लस्टर स्तर पर महिला पंचों को प्रशिक्षण दिया गया। सामान्यतः 5-6 ग्राम पंचायतों का क्लस्टर बनाया गया था।
  • प्रदेश में कुल 7869 क्लस्टर्स बनाये गये। ग्राम पंचायत क्लस्टर्स मुख्यालय पर प्रशिक्षण आयोजित किया गया।
प्रशिक्षित प्रतिभागी :
  • प्रदेश की 188496 महिला पंचों को प्रशिक्षण दिये जाने लक्ष्य रखा गया था।
  • यह प्रशिक्षण सितम्बर 2012 से प्रारंभ किया गया था जो कि अब लगभग पूर्णता पर है।

माह जनवरी 2013 तक की अवधि में लगभग 135726 महिला पंचो को प्रशिक्षित कर दिया गया है। शेष महिला पंचों का प्रशिक्षण प्रचलन में है।

  अनुक्रमणिका  
प्रकाशन समिति

संरक्षक एवं सलाहकार
  • श्रीमती अरुणा शर्मा(IAS),अपर मुख्य सचिव,
    म.प्र.शासन,पं.एवं ग्रा.वि.वि.,
  • श्री राजेश राजौरा(IAS),सचिव,म.प्र.शासन,पं.एवं ग्रा.वि.वि.


सह संपादक
संजीव सिन्हा, उप संचालक, म.गां.रा.ग्रा.वि.स.-म.प्र., जबलपुर

प्रधान संपादक

निलेश परीख,
संचालक,
महात्मा गांधी राज्य ग्रामीण विकास संस्थान-म.प्र., जबलपुर


फोटो संकलन
रमेश गुप्ता , म. गाँ. रा. ग्रा. वि. संस्थान - म. प्र. , जबलपुर

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