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त्रैमासिक - सोलहवां संस्करण | जुलाई, 2014 |
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अनुक्रमणिका | हमारा संस्थान | |||||||||||||||||||||||||
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मनरेगा क्रियान्वयन हेतु पदस्थ जिला एवं जनपद स्तरीय अमले का प्रशिक्षण एवं उपयंत्रियों के कार्य क्षेत्र का युक्तियुक्तकरण प्रशिक्षण | ||||||||||||||||||||||||||
संस्थान में दिनांक 12 से 13 मई, 19 से 20 मई, 21 से 22 मई, 23 से 24 मई 2014 की अवधि मे दो-दो दिवसीय मनरेगा क्रियान्वयन हेतु पदस्थ जिला एवं जनपद स्तरीय अमले का प्रशिक्षण एवं उपयंत्रियों के कार्य क्षेत्र का युक्तियुक्तकरण प्रशिक्षण का आयोजित किया गया जिसमें मनरेगा साफ्ट के संचालन से संबंधित कठिनाईयों का निराकरण किया गया इस प्रशिक्षण कार्यक्रम निर्धारित तिथियों मे जबलपुर, सिवनी, बालाघाट, छिंदवाडा, मंडला, डिंडौरी, नरसिंहपुर, कटनी, टीकमगढ, सिंगरौली, शहडोल,उमारिया, सीधी, छतरपुर, सागर, पन्ना, दमोह, अनुपपूर जिलों से सहायक यंत्री, लेखाधिकारी, सहायक लेखाधिकारी, |
परियोजना अधिकारी, सहायक परियोजना अधिकारी, अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी, डाटा मैनेजर, कम्प्यूटर आपरेटर उपस्थित हुए। इन दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में मध्यप्रदेश राज्य रोजगार गारंटी परिषद के प्रशिक्षकों द्वारा प्रशिक्षण दिया गया इन प्रशिक्षणों मे लगभग 550 प्रतिभागियों को प्रशिक्षण दिया गया।
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अनुसूचित क्षेत्रों में विशिष्ट उपबंधों में ग्रामसभा का सशक्तिकरण | ||||||||||||||||||||||||||
हमारा देश ग्रामों का देश है। महात्मा गाँधी जी कहा करते थे कि ‘‘मेरा भारत गॉवों में रहता है। उनका यह कथन बिल्कुल सत्य है क्योंकि भारत का लगभग 72 प्रतिशत जनसंख्या गॉवों में रहती है। स्वतंत्र भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया। इस संविधान कि साथ ही भारत में स्थानीय शासन के क्षेत्र में नये युग का प्रारम्भ हुआ। संविधान द्वारा स्थानीय शासन के विषय को राज्य सूची में सम्मिलित किया गया। साथ ही केन्द्र सरकार सदैव ही इसकी प्रगति के लिए प्रयत्नशील रही है। प्रगति के सुझावों को दृष्टिगत रखते हुए संविधान के अनुच्छेद 40 की मूलभावना के अनुसार देश के ग्रामीण इलाक़ों गाॅव में ग्राम पंचायतों को स्वशासन की स्वराज की इकाई के रूप में सशक्त करने हेतु 73 वाॅ संविधान संशोधन किया गया । जिसे देश में सर्वप्रथम मध्यप्रदेश में मध्यप्रदेश पंचायत राज अधिनियम 1993 बनाकर तैयार किया गया। जिसे 26 जनवरी 1994 से पूरे प्रदेश में लागू किया गया। जिसमें पंचायत राज व्यवस्था को त्रि-स्तरीय करते हुए ग्रामसभा को संसद तथा विधानसभा की तरह संवैधानिक संस्था माना गया। ‘‘ग्राम सभा के पंच जुड़े है परमेश्वर के रूप । अनुसूचित क्षेत्रों को ‘‘अनुसूचित क्षेत्र’’ नाम इसलिए दिया गया है, क्योंकि संविधान की पाॅचवी अनुसूची के अनुच्छेद 244 (1) में इसका वर्णन है । ऐतिहासिक तौर पर इन अनुसूचित और जनजातीय क्षेत्रों में आम कानूनों के सामान्य क्रियान्वयन से दूर रखा गया है। जिससे इन क्षेत्रों में रह रहे आदिवासियों के सामाजिक रीति-रिवाज़ों और परम्परागत प्रथाओं संरक्षित रखा जा सके । देश में नौ राज्यों में अनुसूचित क्षेत्र की श्रेणी में आते है जिसमें म.प्र. को भी शामिल किया गया है। अनुसूचित क्षेत्रों में एक पूरा जिला या एक जिले के भीतर ब्लाॅक या पंचायत ,गाॅव या पटवारी हल्का शामिल हो सकता है। 73 वाॅ संविधान अधिनियम 1992 के प्रावधानों में अनुसूचित क्षेत्रों का विस्तार करने हेतु श्री दिलीप सिंह भूरिया (सांसद) की अध्यक्षता में 22 सदस्यो की समिति गठित की गई जिसके सुझावों को ध्यान में रखते हुए , भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 ‘ड’ के खण्ड (4) ‘ख’ में अपेक्षित अनुसार संसद में ‘‘ पंचायत उपबंध अनुसूचित क्षेत्रों का विस्तार ’’ अधिनियम 1996 पारित किया गया। जिसका उद्देश्य संविधान की पाॅचवी अनुसूचित के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों की पंचायतराज संस्थाओं का सशक्तिकरण है। म.प्र. पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 के अनुसार ‘‘ग्र्रामसभा’’ ऐसी निकाय है जो उन व्यक्तियों से मिलकर बनेगी जिनके नाम ग्राम स्तर पर उस क्षेत्र की मतदाता सूची में सम्मिलित हो। ‘‘ग्राम’’ अनुसूचित क्षेत्र में कोई ऐसा ग्राम जिसमें साधारणतया आवास या आवासों का समूह अथवा छोटे गाॅवों का समूह होगा जिसमें समुदाय रहता हो और जो परंपराओं और रूढ़ियों के अनुसार अपने कार्यकलापों का प्रबंध करता है। ग्राम सभा की धारा 129-ख में गठन किया गया है। व ग्राम के लिए जैसा कि उपधारा -1 में परिभाषित है, जिसके अनुसार प्रत्येक ग्राम में एक ग्रामसभा होगी। |
लेकिन ग्रामसभा के सदस्य यदि चाहे तो एक ग्राम में एक से अधिक ग्रामसभाओं का गठन ऐसी रीति में किया जा सकेगा, जैसा कि विहित किया जाए और ऐसी प्रत्येक ग्रामसभा के क्षेत्र में आवास या आवासो का समूह अथवा छोटे गाॅव का समूह होगा जिसमें समुदाय रहता हो और जो परंपराओं और रूढ़ियों के अनुसार अपने कार्यकलापों का प्रबंधन करते हो। ग्राम सभा आयोजन
साथ ही आवश्यकता होने पर विशेष ग्रामसभाओं का आयोजन भी किया जा सकता है। जिले के कलेक्टर ग्रामसभा की बैठकों के समुचित इंतजाम के लिए एक शासकीय अधिकारी या कर्मचारी को ग्रामसभा की कार्यवाहीयों के संचालन के लिए नियुक्त करते है। ग्रामसभा की बैठक की सूचना
ग्रामसभा का कोरम गणपूर्ति
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महिला सशक्तिकरण | ||||||||||||||||||||||||||
आज महिला सशक्तिकरण पर हम बहुत सी चर्चायें न्यूज चेनल समाचार पत्र एवं अन्य प्रकार की मेग्जीन्स पर सुनते, पढ़ते एवं देखते हैं वास्तव में सभी महिलायें सशक्त होकर अपनी लड़ाई स्वयं लड़े तो हमारा देश सुधर जाए कोई भी व्यक्ति या समाज उन्हें किसी भी प्रकार से प्रताडि़त नहीं कर सकता। महिला सशक्तिकरण पर सरकार एवं कई स्वयं सेवी संस्थायें कार्य कर रही हैं। और आज समय आ गया है कि महिलायें सशक्त होकर अपना अधिकार प्राप्त कर सकें। ऐसी ही एक सच्ची घटना के बारे में चर्चा करते हैं। ग्राम पंचायत नानाखेड़ा जो कि जबलपुर(MGSIRD)से लगभग 25 किलोमीटर दूर है जिसे महात्मा गांधी राज्य ग्रामीण विकास संस्थान द्वारा आदर्श ग्राम बनाने का कार्य विगत् कुछ महीनों से किया जा रहा है। ग्राम नानाखेड़ा को आदर्शग्राम बनाने के लिए ग्रामीण स्तर पर कई जागरूक कार्य पिछले कुछ समय से किये जा रहे हैं। ग्राम नानाखेड़ा की जनसॅंख्या एवं परिवार संबंधित जानकारी: ग्राम नानाखेड़ा की कुल जनसॅंख्या 550 है जिनमें से पुरूषों की सॅंख्या 272 एवं महिलाओं की सॅंख्या 278 है । अतः कुल 116 परिवार जातिवार - बी पी एल-63/एस सी -1/एस टी -79 ओ बी सी -32, एवं सामान्य - 4 परिवार हैं। शिक्षा का स्तर:ग्राम नानाखेडा मे शिक्षा का स्तर बहुत ही कम है ग्राम मे आकडों के आधार पर पुरूषों की अपेक्षा महिलाएॅ अधिक शिक्षित है जो निम्नानुसार है
पुरूषों में शिक्षा का स्तर कम होने के कारण परिवार मे महिलाओं को बहुत सी समस्याओं का सामना करना पडता है। जिसका निराकरण वह स्वयं की सोच पर कर पाती हैं रोजगार के साधन:ग्राम नानाखेड़ा में कुल 5 फैक्ट्रियां हैं 1. 2 पत्थर तोड़ने की फैक्ट्री 2.पाईप फैक्ट्री 3. निरमा फैक्ट्री 4. चिनी मिट्टी के ईंट की फैक्ट्री। ग्राम में 278 महिलाओं में से 83 महिलायें फैक्टरी में रोजगार कर जीवनयापन करती हैं और यहाॅं के पुरूष वर्ग जिनकी पारिवारिक भूमिका केवल नाममात्र की है । जिसमें अधिक मात्रा में महिलायें मजदूरी करती हैं । यहाॅं पर 70-75 प्रतिषत पुरूष वर्ग केवल ताष के पत्तों तक सीमित है जो कि उनकी दिनचर्या का कार्य है गाॅंव से कुछ दूरी पर ही कुछ लोग दारू का भट्टा लगाते हैं। महात्मा गांधी राज्य ग्रामीण विकास संस्थाओं के शोधकर्ताओं द्वारा शराब से होने वाले नुकसान के बारे में |
कई बार नशामुक्ति कार्यक्रम एवं इससे होने वाले घरेलू हिंसा एवं शारीरिक नुकसान के बारे में ग्राम सभा एवं अन्य प्रकार की बैठकों के माध्यम से ग्रामवासियों को अवगत कराया। संस्थान द्वारा उक्त विषय पर दी गई जानकारी के पश्चात महिलाओं ने इस मुद्दे को ग्रामसभा में रखा। ग्रामसभा में महिलाओं द्वारा उठाई गई आवाज जिसमें गाॅंव में शराब बनाना बंद हो और घर के सदस्य घर पर देर रात न पहुचें इसकी मांग की। महिलाओं की इस पहल पर सरपंच द्वारा ग्राम में शराब पीकर जो भी व्यक्ति शांति भंग करता है तथा ग्राम में शराब बनाता है उस पर कड़े रूप से कार्यवाही की जायेगी इस बात की सहमति सरपंच द्वारा ग्रामसभा में दी । जिस समय सरपंच अपनी सहमति ग्रामसभा के दौरान दे रहे थे उस समय महिलाओं में काफी आक्रोष था। ग्राम की महिला पंच एवं सरस्वती स्वसहायता समूह की अध्यक्ष श्रीमती सुशीला पाण्डे एवं पूजा स्वसहायता समूह की सचिव श्रीमती तुलसा गौंड़ ने अपने समूह के सदस्यों सहित बीड़ा उठाया कि हम सभी महिलायें ग्राम को नशामुक्त कराएंगे जिसके लिये उन्होंने बरगी थाने एक ज्ञापन सौंपा। अतः बरगी थानें द्वारा महिलाओं द्वारा दी गई शिकायत के निराकरण हेतु ग्राम नानाखेंडा मे पहुच कर कार्यवाही की। तथा कार्यवाही के दौरान दारू के भटटें को बंद करवाया गया एवं ग्रामवासियों कों चेतावनी दी की इस प्रकार की पुनरावृत्ति ग्राम मे ना हों अन्यथा उस व्यक्ति पर कानूनी कार्यवाही की जायेगी। श्रीमती सुशीला पाण्डे जो कि एक पंच होने के नाते उन्हें अपनी एवं अपने गांव की जिम्मेदारी के बारे में बखूबी मालूम है कि हम सभी महिलायें संगठित हो जायें तो कोई भी बढ़ी परेशानी का सामना किया जा सकता है। और हमारे आसपास होने वाले घरेलू हिंसा एवं अन्य प्रकार की घटनाओं से आसानी से निपटा जा सकता है। इस प्रकार की लड़ाई केवल एक महिला या एक गाॅंव की नहीं बल्कि पूरे देश की है और महिला चाहे तो वह सशक्त होकर अपनी लड़ाई स्वयं लड़ सकती है। जहाँ एकता और एकाग्रता की शक्ति है
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ग्राम नान्हाखेड़ा में सरस्वती स्व-सहायता समूह के बढ़ते कदम | ||||||||||||||||||||||||||
स्व सहायता समूह ग्रामीण और गरीब लोगों के लिए ऐसी पहल है जो सरकार की लोक कल्याणकारी अवधारणा पर केंद्रित है। स्व सहायता समूह कमाई के लिये नही बल्कि जनसेवा के लिए है । इनके माध्यम से हम अपने समाज को मार्गदर्शन एवं रोजगार प्रदान कर सकते है। इसलिये स्व सहायता समूह कें गठन का काम करें। स्व सहायता समूह आजीविका का साधन होने के साथ ही समाज सेवा का माध्यम भी है। अगर हम अपना काम ईमानदारी, कर्तव्य निष्ठा और मेहनत के साथ करते है तो निश्चित ही हमें सफलता प्राप्त होती है। इसलिये ग्रामीण इलाकों के लोगों को स्व सहायता समूह का गठन कर विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षण एवं रोजगार की संभावनाओं का सृजन किया जा सकता है। गांव की सामाजिक समस्याओं को दूर करना, समूह के लिए पुूजी जुटाना, गांव की सम्पत्ति तथा सरकारी विकास कार्यक्रम का सही लाभ योग्य और पात्र परिवार को खासकर समूह के सदस्यों को दिलाना है। संगठन जो समूहों की महिलाओं को संगठित कर उनकी सामाजिक परिस्थितियों में सुधार कर सके, आर्थिक स्थिति मजबूत बना सकें, उनके हक और अधिकारों का उपयोग करने में मदद करने के साथ ही उन्हे आत्मनिर्भर एवं स्वाभिमान से जीना सिखा सकें। ग्राम नान्हाखेड़ा में महिलाएॅ अपने परिवार के उत्थान हेतु तथा अपनी आजीविका को सुचारू रूप से चलाने में काफी भ्रमित थी तथा उनके दिमाग मे हमेशा अस्थिरता बनी रहती थी क्या करें और क्या न करें ग्राम सभा की स्थिति- पूर्व में ग्राम सभा में सदस्यों की उपस्थिति बहुत कम होती थी। तथा कोरम की औपचारिकता रजिस्टर में घर घर भेजकर हस्ताक्षर करवाकर लिये जाते थे। महिलाओ की बात ग्राम सभा में अनसुनी कर दी जाती थी परंतु संस्थान द्वारा गृह भेंट करके समुदाय के साथ चर्चा करके बार बार ग्राम सभा का महत्व समझाते हुए ग्रामीणों को ग्राम सभा में आनें हेतु प्रेरित किया। जिसका परिणाम यह है कि 2 अक्टूबर 2013 को पहली बार ग्राम सभा में महिला एवं पुरूषों की अच्छी उपस्थिति रही कुल जनसंख्या 550 मे से 88 महिलायें एवं पुरूष उपस्थित हुई। संस्थान द्वारा सरपंच, सचिव की अनुमति पर ग्राम सभा में महिला सशक्तिकरण, स्वच्छ ग्राम, सुखी परिवार एवं परिवार के जरूरतमंद मुद्दों पर चर्चा की गई। महिलाओं की शारीरिक, मानसिक, सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति का विकास हो जिसके लिये संस्थान द्वारा समूहिक बैठक, शिक्षात्मक रैली, नुक्कड़ नाटक, श्रमदान, प्रतियोगिताएं तथा अच्छे कार्यों को दिखाने हेतु आदर्श ग्राम सिहौदा का भ्रमण करने के पश्चात् महिलाओं की समास्याओं एवं निदान पर वृहद चर्चा की गई। महिलाओं की मांग पर सर्वप्रथम स्वास्थ्य का मुद्दा आया। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थय अधिकारी की अनुमति से विकास खण्ड से खण्ड चिकित्सा अधिकारी ने अपने चिकित्सीय दल सहित निःशुल्क चिकित्सीय सेवा एवं दवा वितरण कर 572 जन समुदाय को तीन ग्रामों से लाभान्वित किया गया। ग्राम में 272 पुरूष, 278 महिला सहित 550 जन संख्या केवल नान्हाखेड़ा की है। जिससे 116 परिवार में से 63 परिवार बी. पी. एल है। यहां पर 1 परिवार एस सी,79 परिवार एस टी,32 परिवार ओ.बी.सी.,सामान्य परिवार 4 सहित 116 परिवार निवास करते है। ग्राम में 83 महिलायें फैक्ट्री में कार्य कर रोजगार से जुड़ी है जबकि ग्राम में 278 महिलाएं है। ग्राम की महिलाओं ने संस्थान द्वारा किये गयें हितकारी कार्यों को देखकर महिला गठन का संकल्प लिया। ग्राम में महिला पंच श्रीमती सुशीला पाण्डें, मुन्नी, शकुन, उर्मिला बाई एवं ग्राम की अन्य महिलाओं सहित एक बैठक 8.12.13 को सम्पन्न हुई जिसमें सरस्वती स्व सहायता समूह का गठन किया गया तथा सर्व सम्मति से ग्राम गंगई सेन्ट्रल बैंक में दिनांक 21.12.13 को 13 सदस्यों द्वारा 50/- रूपये प्रत्येक माह अनुसार 650/-रूपये जमा कर समूह का खाता खोला गया। सरस्वती स्व सहायता समूह द्वारा पंच सूत्र - नियमित बैठक, नियमित बचत, नियमित लेनदेन, नियमित ऋण वापसी, नियमित रिकार्ड संधारण पर प्रशिक्षण प्राप्त कर उसका निरन्तर पालन कर रहे है। |
पंच सूत्रों के पालन के साथ-साथ सरस्वती स्व- सहायता समूह में:
समूह को देखकर दूसरों को प्रेरणा मिली:
सरस्वती स्व सहायता समूह स्वउत्थान एवं ग्राम उत्थान के लिये निरन्तर कदम बढा रहा है।
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आर्थिक स्वावलम्बन की ओर अग्रसर ग्राम बलबहरा का जागृति महिला स्वसहायता समूह | ||||||||||||||||||||||||||
एकता में बडी शक्ति होती है, इस बात को चरितार्थ किया है बुढ़ार जनपद पंचायत की ग्राम बलवहरा की जागृत स्वसहायता समूह की महिलाओं ने। महिलाओं ने वर्ष 1999 में महिला बाल विकास के पर्यवेक्षक के प्रेरणा से संगठित होकर 15 सदस्यीय महिला बचत समूह का गठन कर अपने दैनिक खर्चों से बचत कर 30 रूपये मासिक बचत करना प्रारम्भ किया। ये सभी महिलायें घरेलू कामकाज करती थी जिससे उन्हें बचत के लिए अपने पति पर आश्रित रहना पड़ता था जिससे परेशान होकर महिलाओं ने बैठक कर कुछ व्यवसाय करने की इच्छा प्रकट की तथा बैठक रजिस्टर में प्रस्ताव भी पारित कर लिया । उनके इस प्रस्ताव की जानकारी जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी के माध्यम से जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी तक पहुॅचाई गई। मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत द्वारा समूह की प्रथम ग्रेडिंग करने के निर्देश दिये गये जिसमें समूह सफल भी हो गया। तत्पश्चात समूह को जिला पंचायत द्वारा रिवाल्विंग फण्ड उपलब्ध करा दिया गया । समूह ने इस राशि का उपयोग आपसी निर्णय के आधार पर अपने आवश्यक कार्यों हेतु ऋण के रूप में लेकर किया गया जिससे उन्हें साहकारी प्रथा से मुक्ति मिल गयी। वर्ष 2000 में जिला पंचायत द्वारा महिला बाल विकास विभाग द्वारा संचालित आंगनवाड़ी केन्द्रों में पोषण आहार (दलिया उत्पादन) की सप्लाई महिला बचत समूहों के माध्यम से कराने का निर्णय लिया गया। इस निर्णय की जानकारी जागृति स्वसहायता समूह के सदस्यों को दी गयी। समूह की 13 सदस्यों ने दलिया उत्पादन कार्य से संलग्न होने में अपनी सहमति व्यक्त की। समूह के सदस्यों को कार्य प्रारम्भ करने हेतु पूंजी तथा दलिया उत्पादन के कार्य पद्धति की जानकारी का अभाव था। महिला स्वसहायता समूह की अध्यक्ष श्रीमती मुन्नी पाव बताती हैं कि समूह की सदस्यों की उत्सुकता को देखते हुए हम लोगों ने ग्रामीण विकास विभाग के सहायक विस्तार अधिकारी से सम्पर्क किया तथा शासन द्वारा संचालित स्वर्ण जयन्ती ग्राम स्वरोजगार योजना के तहत् अपना प्रकरण तैयार कराकर शहडोल क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक चचाई को प्रेषित कराया। बैंक द्वारा दलिया के शैम्पल का परीक्षण कराने कहा गया, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के माध्यम से दलिया का शैम्पल जिला महिला बाल विकास अधिकारी कार्यालय को भेजा गाया जहाॅ से परीक्षण हेतु शैम्पल खाद्य परीक्षण शाला बम्बई भेजा गया और यह दलिया उत्तम किस्त की पायी गयी। बस क्या था बैंक द्वारा समूह को स्वव्यवसाय प्रारम्भ करने हेतु 2 लाख 12 हजार रूपये का ऋण एवं अनुदान स्वीकृत कर दिया गया। समूह ने अपनी आवश्यकता अनुसार रूपये बैंक से प्राप्त कर नवम्बर 2000 से अपना व्यवसाय के |
अनुसार राशि का आकलन कर एक लाख 20 हजार प्रारम्भ कर दिया। प्रथम बार समूह द्वारा 26 क्विंटल पोषण आहार 1196 रूपये प्रति क्विंटल की दर से सप्लाई की गई जिससे प्रति सदस्य को माह में 15 दिन का कार्य प्राप्त होने लगा तथा बैंक ऋण अदायगी के पश्चात 50 रूपये दैनिक आय हुई। यह क्रम निरन्तर जारी रहा और जागृत महिला बचत समूह द्वारा विगत 14 माहों में महिला बाल विकास विभाग द्वारा प्राप्त सप्लाई आदेशों के अनुरूप 22 टन दलिया की सप्लाई की जा चुकी है। महिला बाल विकास विभाग द्वारा दलिया की खरीदी 1195 रूपये प्रति क्विंटल की दर से की जाती है तथा निर्माण में औसतन 800 रूपये प्रति क्विंटल व्यय आता है इस प्रकार समूह द्वारा अभी तक 88000 रूपये की शुद्ध आय अर्जित की जा चुकी है जिसमें समूह ने 28800 रूपये की बैंक ऋण अदायगी की है तथा शेष राशि आपस में बांट लेती है। राशि के लेन देन का हिसाब कोषाध्यक्ष श्रीमती राम बाई कुशवाहा करती हैं। श्रीमती कुशवाहा ने बताया कि दलिया निर्माण हेतु गेहॅू एवं सोयावीन तथा पैकिंग हेतु पालीथीन की खरीदी निकटतम् बाजार बुढ़ार से करती हॅू तथा आय व्यय एवं प्रत्येक सदस्य की पास बुक की रजिस्टर का संधारण स्वयं करती हूॅ समिति की सचिव श्रीमती रामबाई कुशवाहा ने बताया कि सप्लाई आदेश प्राप्त होने पर हम सभी महिलायें कच्चे माल की साफ सफाई एवं पैकिंग का कार्य नियमित रूप से घरेलू कार्यों कर निपटारा करने के बाद करती हॅू तथा गेहॅू एवं सोयावीन की दराई का कार्य चक्की से 50 पैसे प्रति किलो ग्राम की दर से करवाती हॅू । इससे प्रत्येक सदस्य को 15 दिन के लिए कार्य मिल जाता है तथा औसतन 40 से 50 रूपये दैनिक लाभ प्राप्त हो जाता है सदस्यों ने बताया कि उनके द्वारा बचत नियमित रूप से की जा रही है तथा वर्तमान में समूह के खाते में 10140.00 रूपये बचत राशि जमा है । उन्होने यह भी बताया कि बचत राशि का उपयेग हम सभी सदस्य अपनी आवश्यकता के अनुसार ऋण लेने में करते हैं तथा 2 प्रतिशत मासिक ब्याज दर के साथ निर्धारित अवधि में वापस कर देते है । सभी महिलायें इस बात से काफी खुश थीं कि अब बचत के लिए हमें अपने पति पर निर्भर नहीं रहना पड़ता है साथ ही अब हम सभी महिलायें परिवार संचालन में आर्थिक सहयोग करने में भी सक्षम हो गयी हैं।
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एस.आर.एल.एम. अतंर्गत बैंक मित्र प्रशिक्षण | ||||||||||||||||||||||||||
संस्थान में राज्य ग्रामीण आजीवका मिशन भोपाल के सौजन्य से वित्तीय साक्षरता विषय पर बैंक मित्रों का 3 (तीन) दिवसीय प्रशिक्षण आयोजित किया गया हैं यह प्रशिक्षण सत्र समन्वयक श्री नीलेश राय के मार्गदर्शन में दिनांक 29 मई से 31 मई 2014 की अवधि में सम्पन्न हुआ। वित्तीय साक्षरता अंतर्गत बैंक मित्रों के इस प्रशिक्षण में प्रशिक्षणार्थियों को बैंक में खाते किस तरह से खुलवाए जाते है |
तथा इन खातों का संचालन किस प्रकार होता है, इनकी क्या प्रक्रिया है। इन सभी विषयों पर बैंक मित्रों के साथ विस्तारपूर्वक चर्चा की गई इस प्रशिक्षण में जिला श्योपुर, धार, अलीराजपुर, शहडोल, झाबुआ, मण्डला, बड़वानी, डिण्डौरी एवं अनूपपुर जिलों से कुल 51 प्रतिभागी उपस्थित हुए। इस प्रशिक्षण में अतिथिवक्ता के रूप में श्री एम.एम. बाजपेई, श्री एस.आर. खडरकर, श्री के. खम्परिया एवं श्री वर्गीस जार्ज आदि अतिथिवक्ताओं ने वित्तीय साक्षरता विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किए।
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प्रकाशन समिति | ||||||||||||||||||||||||||
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