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त्रैमासिक - बीसवां संस्करण | जुलाई, 2016 |
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अनुक्रमणिका | हमारा संस्थान | ||||||||||
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‘‘ग्राम उदय से भारत उदय’’ विषय पर संभाग स्तरीय प्रशिक्षण का आयोजन | |||||||||||
संस्थान में डाॅ.राजेश राजौरा,प्रमुख सचिव,मध्यप्रदेश शासन,कृषि विभाग एवं श्री गुलशन बामरा, जबलपुर संभागायुक्त के मार्गदर्शन में ‘‘ग्राम उदय से भारत उदय’’ विषय पर एक दिवसीय संभाग स्तरीय प्रशिक्षण-जबलपुर संभाग का आयोजन दिनांक 06.04.2016 को किया गया। इस प्रशिक्षण में विभिन्न विभागों के अधिकारी एवं कर्मचारियों ने भाग लिया। |
इस प्रशिक्षण में कलेक्टर, जबलपुर, सिवनी, नरसिंहपुर, छिदवाड़ा, डिंडोरी, मण्डला एवं उपरोक्त जिलों के एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी,जिला पंचायत भी उपस्थित रहे। प्रमुख सचिव डाॅ.राजेश राजौरा द्वारा ’’ग्राम उदय से भारत उदय’’ अभियान जो कि 14 अप्रैल से 30 मई 2016 तक चलना है, इस अभियान में विभिन्न विभाग एवं उनके कर्मचारियों/अधिकारियों के दायित्वों एवं कर्तव्यों की जानकारी भी प्रतिभागियों को दी गई।
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ग्राम पंचायत विकास योजना - एक परिचय | |||||||||||
ग्राम पंचायत विकास योजना जन भागीदारी द्वारा ग्रामो में उपलब्ध संसाधनो को ध्यान में रख कर उनके समुचित विकास हेतु ग्रांम पंचायत के सभी विभागो से समन्वय स्थापित कर आपसी सामंजस्य से ग्रांम विकास की योजना तैयार करना है। ग्राम पंचायत विकास योजना क्यों ?- ग्राम पंचायत को स्थानीय शासन के रूप स्थापित करना।जनता की प्राथमिकता एवं आवश्यकताओं को जानकर उन्हे एक योजना के रूप में सम्मिलित करना।प्राकृतिक स्त्रोतों एवं स्थानीय स्त्रोतों को अधिक प्रभावी तरीके से उपयोग करना।ग्राम सभा को क्रियाशील बनाना एवं प्रभावी शासन को प्रोत्साहित करना। योजना का उद्देश्य- ग्राम पंचायतों का समग्र एवं समेकित विकास, जिसमें न केवल अधोसंरचनात्मक विकास बल्कि सामाजिक, आर्थिक एवं वैयक्तिक विकास भी सम्मिलित है।ग्राम पंचायत स्तर पर आवश्यकताओं का चिन्हीकरण एवं प्राथमिकीकरण। ग्राम पंचायत विकास योजना में अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों तथा-निर्धनों की आजीविका एवं सामाजिक सुरक्षा को प्रमुखता से सम्मिलित करते हुए अनुसूचित जनजाति अनुसूचित जाति के कल्याण को प्राथमिकता दी जानी है। पंचायतों के आय के स्त्रोत (रिसोर्स एनवलप)- ग्राम पंचायत को प्राप्त होने वाली समस्त राशियों तथा अन्य संसाधनों को एकजायी कर ‘‘रिसोर्स एनवलप‘‘ नाम से संबोधित किया गया है। रिसोर्स एनवलप में निम्न राशियाॅ सम्मिलित होगीं - ग्राम पंचायतों को करों, शुल्क, ब्याज, किराया आदि से प्राप्त होने वाली आय, 14 वे वित्त आयोग से प्राप्त होने वाली राशि। लेबर बजट अनुसार मनरेगा में ग्राम पंचायत के लिये नियत राशि, राज्य सरकार के पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा प्रदाय की जाने वाली समस्त राशियाॅ। राज्य सरकार के अन्य विभागों द्वारा अपनी नीति के तहत ग्राम पंचायतों को जारी की जाने वाली राशियाॅ जनपद पंचायत, जिला पंचायत एवं जिला कलेक्टर द्वारा प्रदान की जाने वाली समस्त राशियाॅ। सहभागी नियोजन हेतु वातावरण निर्माण-सभी की सहभागिता से ग्राम पंचायत विकास योजना को तैयार किये जाने के लिए उचित वातावरण बनाना अत्यन्त आवश्यक है। उचित वातावरण निर्माण के लिए प्रचार-प्रसार किया जाना अत्यन्त आवश्यक है। |
ग्राम पंचायत की स्थिति विश्लेषण- ग्राम पंचायत की योजना बनाने से पूर्व आवश्यक है कि स्थिति विश्लेषण किया जाय जिसके आधार पर ग्राम पंचायत विकास योजना हेतु कार्यो का निर्धारण किया जाये। सहयोगी आंकडे वे आंकडे होते है जो ग्राम पंचायत में पहले से रिपोर्ट के रुप में या वहाॅ दर्ज संबंधित पंजी में उपलब्ध होते है। ग्राम पंचायत की आवश्यकताओं का निर्धारण-ग्राम पंचायत की आवश्यकताओं एवं प्राथमिकताओं का निर्धारण करने हेतु ग्राम सभा की बैठक बुलाई जायेगी। स्थिति विश्लेषण रिपोर्ट को ग्राम सभा में चर्चा के लिए प्रस्तुत किया जायेगा साथ ही साथ जन सामान्य की आवश्यकताओं एवं कार्यो का चिन्हीकरण किया जाय। ग्राम पंचायत विकास योजना का ग्राम सभा द्वारा अनुमोदन-ग्राम पंचायत द्वारा तैयार विकास योजना के ग्रामवार घटकों को संबंधित ग्राम सभा में अनुमोदन हेतु प्रस्तुत किया जावेगा। अभिसरण (कनवरजेंस)- मनरेगा से ,स्वच्छ भारत मिशन ,एन.आर.एल.एम , ग्रामीण आवास मिशन एवं प्रधानमंत्री आवास योजना से किया जावेगा।
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मध्यान्ह भोजन नियम, 2015 की खास बातें | |||||||||||
मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम का क्रियान्वयन- शिक्षा का लोक व्यापीकरण, शालाओं में पढ़ने वाले छात्रों की दर्ज संख्या में वृद्धि और उपस्थिति में निरन्तरता सुनिश्चित करने, शालाओं में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को पोषण आहार उपलब्ध कराना और उनके पोषण स्तर में सुधार करने तथा मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम की व्यवस्था से जुड़ी गतिविधियों के माध्यम से गांव की महिलाओं एवं गरीबों के लिए जीविका उपार्जन हेतु स्वरोजगार का निर्माण करने के उद्देश्य से मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम चलाया जा रहा है। मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के दिशा निर्देशों के अनुरूप क्रियान्वित किया जाता हैं। मध्यप्रदेश में इस कार्यक्रम के क्रियान्वयन के पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग नोडल विभाग है। पंचायतराज संस्थाओं, शिक्षा, महिला एवं बाल विकास, खाद्य एवं नागरिक अपूर्ति विभाग, दुग्ध संघ जैसे महत्वपूर्ण विभागों के संयुक्त प्रयासों से मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम का क्रियान्वयन किया जा रहा है। मध्यान्ह भोजन नियम 2015- केन्द्रीय सरकार द्वारा वर्ष 2013 में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम लागू किया गया है। इस अधिनियम (2013 का 20) की धारा 39 की उप-धारा (2) के उपबंध (ख) के साथ पठनीय उप-धारा (1) की शक्तियों का उपयोग करते हुये ‘‘मध्यान्ह भोजन नियम 2015’’ बनाया गया है। जिसकी प्रमुख बातों को इस लेख में शामिल किया गया है। पोषक भोजन के लिए पात्रता एवं भोजन परोसने का स्थान- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 की अनुसूची 2 में उल्लेखित पोषक मानकों वाला भोजन मुफ्त दिया जावेगा। स्कूल के अवकाश के दिनों को छोड़ कर यह भोजन कक्षा एक से आठवीं तक स्कूल में पढ़ने के लिए उपस्थित होने वाले छह से चैदह वर्ष के प्रत्येक बालक को दिया जावेगा। भोजन केवल स्कूल में परोसा जावेगा। भोजन की गुणवत्ता- भोजन केंद्रीय सरकार के मार्गदर्शक सिद्धांतों और अधिनियम की अनुसूची 2 के अनुसार तैयार किया जावेगा। प्रत्येक स्कूल में स्वच्छ रीति से भोजन पकाने की सुविधा होगी। शहरी क्षेत्र में स्थित स्कूल जहां कहीं अपेक्षित हो, केंद्रीय सरकार द्वारा जारी मार्गदर्शक सिद्धांतों के अनुसार भोजन पकाने के लिए केंद्रीकृत पाकशाला संबंधी सुविधाओं का उपयोग किया जा सकता है, लेकिन बालकों को भोजन स्कूल में ही परोसा जाएगा। राज्य संचालक - सह-निगरानी समिति (SSMC)- मध्यान्ह भोजन स्कीम के लिए अधिनियम का कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के आशय से स्कीम के कार्यान्वयन तथा भोजन के पोषक मानकों और क्वालिटी को बनाए रखने के लिए तंत्र की स्थापना की निगरानी की जबावदारी राज्य संचालक‘-सह-निगरानी समिति (एसएसएमसी) को सौंपी गई है। स्कूल प्रबंधन समिति (एसएमसी)- मध्यान्ह भोजन योजना में स्कूल प्रबंधन समिति (एसएमसी) की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है। निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकारी, 2009 के अधीन स्कूल प्रबंधन समिति का यह दायित्व सौंपा गया है कि वह मध्यान्ह भोजन स्कीम के कार्यान्वयन की निगरानी करेगी और मध्यान्ह भोजन स्कीम के कार्यान्वयन में, बालकों को दिये जाने वाले भोजन की क्वालिटी, खाने पकाने के स्थान की साफ-सफाई और स्वच्छता बनाए रखने पर निरीक्षण रखेगी। |
स्कूल का प्रधानाध्यापक अथवा प्रधानाध्यापिका को सशक्त अधिकार होगा कि वह स्कूल में खाद्यान्न, पकाने की लागत आदि अभ्यार्थी तौर पर उपलब्ध न होने के मामले में मध्यान्ह भोजन स्कीम जारी रखने के प्रयोजन के लिए स्कूल में उपलब्ध निधि का उपयोग करे। मध्यान्ह भोजन के लिए निधियां प्राप्ति होते ही तत्काल स्कूल के खाते में उपयोग की गई धनराशि की प्रतिपूर्ति कर दी जाएगी। प्रयोगशालाओं में भोजन का परीक्षण- अधिकृत की गई प्रयोग शालाओं द्वारा भोजन का परीक्षण किया जावेगा। सरकारी खाद्य अनुसंधान प्रयोगशालाएं अथवा कानून द्वारा अधिकृत या मान्यता प्राप्त कोई भी प्रयोगशाला बालकों को दिए जाने वाले पके-पकाये गर्म भोजन का मूल्याकंन करेगी और इसे प्रमाणित करेगी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह भोजन अधिनियम की अनुसूची 2 में उल्लेखित पोषक मानकों और क्वालिटी के अनुरूप हो। राज्य के खाद्य और औषधि प्रशासन विभाग भोजन का पोषक मूल्य और क्वालिटी सुनिश्चित करने के लिए इसके नमूने लेंगे। उपनियम (1) में निर्दिष्ट विभाग द्वारा रेण्डमली चुने गये स्कूलों और केंद्री पाकशालाओं से हर माह कम से कम एक बार नमूने एकत्र करेंगे और इन्हें उपनियम (1) में निर्दिष्ट प्रयोगशालाओं को परीक्षण के लिए भेजेंगे। खाद्य सुरक्षा भत्ता- मध्यान्ह भोजन नियम में खाद्य सुरक्षा भत्ता का भी प्रावधान किया गया है। यदि खाद्यान्न, पकाने की लागत, ईंधन उपलब्ध न होने या रसोईयों-सह-हेल्पर के अनुपस्थित रहने अथवा किसी अन्य कारण से किसी भी स्कूल दिन के स्कूल में मध्यान्ह भोजन उपलब्ध नहीं कराया जाता है तो नियम 3 में निर्दिष्ट प्रत्येक बच्चे को राज्य सरकार नियम 2 के उपबंध (ग) में यथा-पारिभाषित खाद्य सुरक्षा भत्ता बालक की पात्रता के अनुसार खाद्यान्न की मात्रा, और राज्य में खाना पकाने की उस समय प्रचलित लागत अनुसार आगामी मास की 15 तारीख तक उपलब्ध कराएगी। केन्द्रीकृत पाकशाला द्वारा भोजन की आपूर्ति न करने के मामले में, केंद्रीकृत पाकशाला से उपनियम (1) के अनुसार खाद्य सुरक्षा भत्ता वसूल किया जाएगा परन्तु यदि कोई बालक उसे दिया गया भोजन किसी भी कारण से नहीं लेता है, तो राज्य सरकार अथवा केंद्रीकृत पाकशालाओं से खाद्य सुरक्षा भत्ते का कोई दावा नहीं किया जाएगा। इस संबंध में यह भी उल्लेखनीय है कि, खाद्यान्न और भोजन की क्वालिटी के कारणों के लिए राज्य सरकार अथवा केंद्रीकृत पाकशालाओं से कोई दावा नहीं किया जाएगा। यदि स्कूल दिनों में लगातार तीन दिन तक अथवा एक मास में कम से कम पाॅंच दिन तक मध्यान्ह भोजन उपलब्ध नहीं कराया जाता है, तो राज्य सरकार प्रक्रिया अनुसार व्यक्ति अथवा एजेंसी पर जिम्मेदारी नियत करने के लिए कारवाई करेगी। जहां कहीं भी केन्द्रीय सरकार की कोई एजेंसी लिप्त हो तो राज्य सरकार इस मामले को केन्द्रीय सरकार के साथ उठाएगी जो एक मास के अंदर इस मामले का समाधान करेगी। संदर्भ-
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केस स्टडी - जिला सिवनी जिला पंचायत सोनाडोंगरी ‘‘ग्राम उदय से भारत उदय‘‘ अभियान | |||||||||||
ग्राम उदय से भारत उदय के अभियान-माप-अप- राउॅड दिनांक 01 जून 2016 की केस स्टडी:- ग्राम उदय से भारत उदय तक अभियान अंतर्गत जनपद पंचायत सिवनी की ग्राम पंचायत सोनाडोंगरी मे 01 जून 2016 को आयोजित माप-अप ग्राम सभा की कार्यवाही का अवलोकन किया गयाः- ग्राम पंचायत सोनाडोंगरी खण्ड एवं जिला मुख्यालय से एन.एच.-7 पर उत्तर की ओर 14 किलोमीटर दूर स्थित है। ग्राम पंचायत अंतर्गत 2 ग्राम सोनाडोंगरी एवं थांवरी आते है। दोनो ग्राम की आवादी मिश्रित है । ग्राम पंचायत मे कुल 1146 सदस्य हैं। जिनमें महिलाओं की संख्या 561 है। अनुसूचित जनजाति 137 एवं अनुसूचित जाति के 106 सदस्य हैं । ग्राम पंचायत का स्वयं का भवन है जिसमें बैठक व्यवस्था, बिजली, कम्प्यूटर, एलईडी उपलब्ध है। ग्राम पंचायत मे कुल मतदाता जिन्हें ग्राम सभा का सदस्य माना जाता है का विवरण निम्नानुसार है।
ग्राम पंचायत के सरपंच श्री श्याम सिंह तेकाम है ग्राम संसद का माप अप ग्राम सभा की अध्यक्षता दिनांक 01.06.2016 को इनके द्वारा माप अप ग्राम सभा के नोडल अधिकारी श्री सी.पी. ढोके उपयंत्री थे । ग्राम सभा का आयोजन ग्राम पंचायत सोनाडोंगरी मे प्रातः 09ः00 बजे से किया गया। इस पंचायत मे मुख्य रूप से माननीय तहसीलदार सिवनी प्रारंभ से समापन तक उपस्थित रही। उपस्थित ग्राम वासियो का ग्राम संसद के अध्यक्ष महोदय तथा उपस्थित अधिकारियों ने अभिवादन कर कार्यवाही प्रारंभ की । नोडल अधिकारी द्वारा उद्देश्य के सांथ-सांथ विगत दो चरणों की ग्राम सभाओ मे की गई कार्यवाही बनाई गई पंचवर्षिय योजनाओ का वाचन, ग्रामीण विकास की योजनाऐं, कृषि, पशुपालन, शिक्षा स्वास्थ्य तथा हितग्राही मूलक योजनाओं की जानकारी ग्राम सभा में की तथा ग्राम पंचायत की निर्मित पंचवर्षीय योजनाओं की पूर्ण तैयारी की गई, हितग्राही मूलक योजनाओं से लाभान्वित किए जाने किये जाने वाले ग्रामीणों का चयन किया गया, ग्राम सभा के सदस्यों द्वारा अनुमोदित किया गया। माननीय तहसीलदार महोदय ने ग्राम सभा में उपस्थित महिला सदस्यों को स्व सहायता समूहों से जुडवाया आजीवका के साधन तथा पशुपालन तथा ग्रामीण उधोग के उत्पादन से आर्थिक समृद्धि की समझाईस दी। ग्राम वासियों द्वारा घरेलू में उपयोग किए जा रहे पानी को सोक के माध्यम से वाटर रिचार्जिग करने की समझाईस दी। |
विवादित, नामांतर, मृत्यु प्रमाण-पत्र तथा राजस्व एवं ग्राम पंचायत द्वारा जारी किए जा सकने वाले आवासीय भूमि के पट्टी हेतु आवेदन ग्राम पंचायत में जमा करने तथा ग्राम पंचायत में ही उनका निराकरण कैम्प लगाकर स्थाई पट्टे बाटने हेतु समय निर्धारित किया। दोपहर 10.00 बजे से 12.00 बजे तक दूरदर्शन म0प्र0 में भोपाल जिले की तारासेवनिया ग्राम पंचायत में आयोजित ग्राम सभा का सीधा प्रसारण दिखलाया गया। जिसे म0प्र0 के माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह जी चैहान ने संबोधित किया। संबोधन ग्राम का विकास देश का विकाय गाॅव का पानी गाॅव की एक-एक समस्या का हल होगा। ग्राम पंचायत विकास योजना का ग्राम सभा के माध्यम से बनाना खेत का पानी खेत में हो एवं ग्रामोदय अभियान साल में दोबार आयोजित हो जनता अपनी योजना स्वयं ही बनाये जिसका क्रियान्वयन ग्राम पंचायत करें, एवं ग्राम विकास हो उक्त बातों को अपने संबोधन में व्यक्त किया। कार्यक्रम समापन के पश्चात् ग्रामीणों द्वारा उठाई गई निम्न समस्याओं को माननीय तहसीलदार महोदय ने विशेष रूप से सुना एवं त्वरित निराकरण का आश्वासन दियाः- पेय जलः- ग्राम में कुॅआ तालाब एवं नल-जल योजना से पेयजल की आपूर्ति होती है। किंतु वर्तमान मंें कूप सूखा है तथा तालाब में संचित पानी का उपयोग पशुओं के पीने के लिए आरक्षित रखा गया है। ग्राम में भीमगढ़ जल आवर्धन योजना से पानी की पूर्ति होती है वर्तमान में पानी की सप्लाई कम समय के लिए किए जाने से समस्या आ रही है। तहसीलदार महोदय ने उच्चाधिकारियों से चर्चा कर शीध्र निराकरण की बात कही। अग्नि दुर्घटनाः- ग्राम में लगभग 15 दिवस पूर्व किरण बाई लोधी के मकान का कुछ हिस्सा जल गया है तहसीलदार महोदय ने प्रार्थिया से थाने में दर्ज प्राथमिकी तथा स्वयं की बैंक पास बुक तत्काल जमा करने की समझाइस दी ताकि दुर्घटना सहायता की राशि जारी की जा सकें। ग्राम वासियों द्वारा शंातिधाम का सीमांकन कर वहाॅ रोड निर्माण हेतु प्रस्ताव दिया, सचिव ने अवगत कराया कि यह कार्य पंचवर्षीय योजना में समाहित है। ग्राम सभा में सरपंच, सचिव, रोजगार सहायक, कोटवार आॅगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं शासकीय अधिकारी कर्मचारी के साथ ग्रामीण जन उपस्थित रहें ग्राम सभा के सदस्यों की कुल उपस्थित-115 थी जो गणपूर्ति के लिए पर्याप्त रहीं। इसमें 40 महिलाएं के साथ अनुसूचित जनजाति के 26 अनुसूचित जाति के 10 अन्य पिछड़ावर्ग 41 तथा सामान्य के 28 सदस्य उपस्थित हुए। तत्पश्चात् 1.45 बजे कार्यक्रम का समापन किया गया।
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प्रशिक्षण योजना, रणनीति, माड्यूल तैयार करने संबंधी प्रशिक्षण सह कार्यशाला | |||||||||||
संस्थान में दिनांक 06-09 जून 2016 की अवधि में प्रशिक्षण योजना, रणनीति, माड्यूल, अध्ययन सामग्री, पावरपाइन्ट प्रजेन्टेशन तैयार करने संबंधी चार दिवसीय प्रशिक्षण सह कार्यशाला आयोजित की गई। उक्त प्रशिक्षण सह कार्यशाला में संस्थान एवं सभी क्षेत्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायतराज प्रशिक्षण केन्द्रों के संकाय सदस्य, प्रोग्रामर सह इन्स्ट्रक्टर्स द्वारा सहभागिता दी गई। कार्यशाला के अंतिम दिवस दिनंाक 09 जून 2016 को उक्त प्रतिभागियों के साथ ही साथ प्रशिक्षण केन्द्रों के प्राचार्य भी सम्मिलित हुये। प्रतिभागी समूह की सहभागिता से कार्यशाला के दौरान विभिन्न विषयों के प्रशिक्षण माड्यूल तैयार किये गये। इसी बीच कार्यालय प्रबंधन एवं तनाव प्रबंधन विषय पर संस्थान के पूर्व संचालक डाॅ. ए.के.सिंह एवं प्रबंधन विषय पर डाॅ. आशीष शर्मा, वरिष्ठ सहायक प्राध्यापक, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर द्वारा वार्ता दी गई। |
जलग्रहण क्षेत्र प्रबंधन मिशन से संबंधित माड्यूल का प्रजेन्टेशन श्री विवेक दवे, ज्वाइंट कमिश्नर, राजीव गाॅंधी वाटरशेड मिशन, भोपाल एवं मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम, आवास संबंधी माड्यूल का प्रजेन्टेशन श्री सुदर्शन सोनी, ज्वाइंट कमिश्नर, मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम के समक्ष में किया गया। माड्यल पर उक्त अधिकारियों द्वारा महत्वपूर्ण सुझाव दिये गये। अन्य विषयों के माड्यूल का प्रजेन्टेशन किया गया। माड्यूल प्रजेन्टेशन में संस्थान की उपसंचालक (प्रशिक्षण) द्वारा अपने सुझाव दिये गये। सभी प्रशिक्षण केन्द्रों के प्राचार्यो द्वारा अपने -अपने प्रजेन्टेशन दिये गये। इसके उपरांत संस्थान के संचालक श्री संजय कुमार सराफ द्वारा ‘‘भूमिका निवर्हन के लिए कार्यक्षमता का विकास’’ विषय पर वार्ता दी गई। |
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