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त्रैमासिक - तेईसवां संस्करण | फरवरी, 2017 |
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अनुक्रमणिका | हमारा संस्थान | |||||||||||||
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माननीय मंत्री, मध्यप्रदेश शासन, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की अध्यक्षता में शासक मण्डल की बैठक | ||||||||||||||
महात्मा गांधी राज्य ग्रामीण विकास एवं पंचायतराज संस्थान के शासक मंडल की 18वीं बैठक दि0 04-01-2017 को माननीय मंत्री जी, मध्यप्रदेश शासन, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, सामाजिक न्याय की अध्यक्षता में वल्लभ भवन, भोपाल में आयोजित की गई। शासक मंडल की गत (17वी) बैठक की कार्यवाही विवरण का अनुमोदन किया गया एवं शासक मंडल के समक्ष गत बैठक दिनांक 12-03-2016 का पालन प्रतिवेदन श्री संजय कुमार सराफ, संचालक, महात्मा गांधी राज्य ग्रामीण विकास एवं पंचायतराज संस्थान जबलपुर द्वारा प्रस्तुत किया गया। |
राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान अंतर्गत पंचायत पदाधिकारियों एवं शासकीय क्रियान्वयन अधिकारियों के मूलभूत एवं ग्राम पंचायत विकास योजना प्रशिक्षण तथा संस्थान के अन्य विषयों पर चर्चा की गई एवं निर्णय लिए गये। बैठक में श्रीमती नीलम शमी राव, प्रमुख सचिव, म.प्र. शासन, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, श्री संतोष मिश्र आयुक्त, पंचायतराज संचालनालय, मध्यप्रदेश, भोपाल एवं अन्य अधिकारीगण भी मौजूद थे।
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राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान अन्तर्गत मूलभूत एवं ग्राम पंचायत विकास योजना प्रशिक्षण विषय पर राज्य स्तरीय उन्मुखीकरण प्रशिक्षण | ||||||||||||||
राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान अन्तर्गत मूलभूत एवं ग्राम पंचायत विकास योजना प्रशिक्षण विषय पर राज्य स्तरीय उन्मुखीकरण पशिक्षण दिनांक 06.01.2017 से 07.01.2017 को क्षेत्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायतराज पशिक्षण केन्द्र भोपाल में आयोजित किया गया, जिसमें प्रत्येक जिले से जिला ग्राम स्वराज प्रशिक्षण अधिकारी (एसीईओ) अथवा वरिष्ठतम पी0ओ0 (परियोजना अधिकारी) को नामांकित किया गया, प्रशिक्षण में प्रतिभागियों की कुल उपस्थिति 72 रही। दो दिवसीय उन्मुखीकरण प्रशिक्षण के प्रमुख लक्ष्य थे - 1. प्रत्येक जिले से जिला ग्राम स्वराज प्रशिक्षण अधिकारी का नामाकंन करना तथा प्रशिक्षण प्रबंधन में उनका 2 दिवसीय उन्मुखीकरण करना। 2. पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की शिक्षण संस्थाओं के माध्यम से संस्थाओं के मध्य प्रशिक्षण प्रभार के जिले चिन्हित करना, संकाय सदस्यों का जिले का मास्टर ट्रेनर एवं प्रशिक्षण प्रभारी नामांकित करना, एवं मास्टर ट्रेनर का राज्य स्तर पर 4 दिवसीय उन्मुखीकरण करना। इस दो दिवसीय उन्मुखीकरण पशिक्षण में जिला ग्राम स्वराज प्रशिक्षण अधिकारी के उत्तरदायित्वों की जानकारी प्रदान कि गई जैसे प्रशिक्षकों एवं प्रशिक्षण केन्द्रों का चयन, यह कार्य करते समय कौन-कौन सी बातों का ध्यान रखना है उसकी जानकारी विस्तार पूर्वक प्रदान कि गई। इसके साथ ही प्रशिक्षकों को संस्थास्तरीय प्रशिक्षण हेतु भेजना, लॉजिस्टिक समन्वयक नामांकित करना, जनपद स्तरीय ग्राम स्वराज प्रशिक्षण प्रभारी चिन्हित कर कलेक्टर से नामांकन आदेश जारी करना इत्यादि की भी जानकारी अधिकारियों को प्रदान की गयी। |
इस राज्य स्तरीय उन्मुखीकरण प्रशिक्षण के अपेक्षित परिणाम निर्धारित किये गये हैः- 1. 51 जिला ग्राम स्वराज प्रशिक्षण अधिकारियों का उन्मुखीकरण। 2. न्यूनतम 35 मास्टर ट्रेनर्स का 4 दिवसीय उन्मुखीकरण। 3. 51 जिलों में प्रशिक्षण केन्द्रों का चिन्हांकन और सभी प्रशिक्षकों की सूची को अंतिम रुप देना। इस दो दिवसीय उन्मुखीकरण प्रशिक्षण के माध्यम से सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में चलाये जाने वाली प्रशिक्षण रणनीति की जानकारी श्रीमती नीलम शमी राव प्रमुख सचिव, म0प्र0 शासन पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के द्वारा सतत् विकास के लक्ष्यों को ध्यान में रखकर प्रथम चरण में सभी पदाधिकारी, ग्राम पंचायत सचिव तथा ग्राम रोजगार सहायक प्रशिक्षण प्राप्त कर अपने ग्राम की ग्राम सभाओं तथा ग्राम पंचायतों से चर्चा कर वार्षिक ग्राम बजट एवं वार्षिक ग्राम पंचायत विकास योजना को तैयार करेगे। इस प्रकार तैयार किये गये वार्षिक बजट एवं कार्य योजना के साथ सरपंच, उपसरपंच, ग्राम पंचायत सचिव एवं ग्राम रोजगार सहायक द्धितीय चरण के प्रशिक्षण हेतु लौटेगे एवं प्रशिक्षण के दौरान वे बजट एवं वार्षिक कार्य योजना को बेहतर करने का प्रयास करेगे। प्रशिक्षण कार्यक्रम अन्त में संचालक महात्मा गांधी राज्य ग्रामीण विकास एवं पंचायतराज जबलपुर के द्वारा धन्यवाद सम्बोधन कर सत्र का समापन किया गया।
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कैशलेस अर्थव्यवस्था | ||||||||||||||
कैशलेस अर्थव्यवस्था की परिकल्पना कोई नई नही है। पूर्व में कई स्वरुपों में जाने अनजाने हमारे द्वारा बहुत से लेन-देन कैशलेस किये जाते रहे है, परन्तु वर्तमान में केन्द्र सरकार के साहसिक कदम द्वारा उच्च मूल्य वाली मुद्रा का विमुद्रीकरण परिणाम स्वरुप कैशलेस लेन-देन की भारतीय अर्थव्यवस्था में आवश्यकता महसूस की गई। वर्तमान में कैशलेस लेन-देन अत्यंत आवश्यक हो गया है, शुरुआत में कोई भी बदलाव होने पर थोड़ी पारेशानियों का सामना करना पड़ता है। परन्तु दैनिक उपयोग एवं लगातार प्रयासों से उसे हम आसान बना सकते है। सही मायने में देखा जाये तो कैशलेस लेन-देन होने से पारदर्शिता बढ़ी है एवं कर चोरी में कमी आयी है। जिससे सरकार को हर वर्ष भारी आर्थिक हानि उठानी पड़ती थी, परन्तु अब इसमें कमी आयेगी एवं सरकारी खजाने में कर वृद्धि सम्मत हो सकेगी जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। इसी क्रम में कैशलेस को आसान बनाने हेतु सरकार द्वारा हर सम्भव प्रयास किये जा रहे है। साथ ही साथ सभी शासकीय वित्तीय लेनदेनों को भी पूर्ण रुप से कैशलेस करने हेतु जोर दिया जा रहा है। इस क्रांति ने लोगो की नकदी में लेन-देन करने की अपने मानसिकता में बदलाव लाने को भी प्रेरित किया है एवं कैशलेस लेन-देन की बारिकियां एवं आसान उपाय भी सुझाये जा रहे है। इस कदम से लोगो में धीरे-धीरे नकदी पर आश्रित रहने की प्रवृति में कमी आयी है। कैशलेस लेन-देन का महत्वः-
कैशलेस भुगतान हेतु निम्न साधनों का उपयोग किया जा सकता है।
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सावधानियां-कैशलेस लेन-देन वर्तमान की आवश्यकता, आसान, किफायती एवं समय की बचत करने वाला तो हैं परन्तु साथ साथ में बढ़ते ऑनलाईन धोखाधड़ी से सावधानी आवश्यक है। जिसके लिए अनचाहे फोन कॉल्स, एसएमएस, ईमेल का जबाव नहीं देना चाहिये किसी भी व्यक्ति को अपने बैंक खाते से संबंधित जानकारी खाता नंबर एटीएम नंबर, एटीएम पिन आदि की जानकारी नहीं देना चाहिये एवं बैंक में भी इसकी शिकायत की जा सकती है। निष्कर्ष - कैशलेस लेनदेन सही मायने में नकद को व्यवस्थित एवं पारदर्शिता प्रदान करने का सही माध्यम है जिससे समय की बचत भी होती है। लोगो द्वारा डेबिट कार्ड क्रेडिट कार्ड इंटरनेट बैकिंग, बैकिंग एप्लीकेशन यूएसडी, यूपीआई एवं अन्य माध्यमों पर विश्वास कर उपयोग प्रारंभ कर दिया गया है। पर्याप्त नकदी की अनु उपलब्धता के कारण बैकिंग बाजार को प्रमुखता भी मिली है। इसके अलावा भुगतान के लिए ई-कामर्स- माध्यम भी लोकप्रिय हुआ है। यहा तक की अधिकांश लोग 10 से 50 रु का भुगतान पेटीएम जैसे एप्स से कर रहे है एवं ग्रामीण भारत भी डिजीटल हो चला है।
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सतत विकास अंतर्गत सस्टनेबल डेवलपमेन्ट | ||||||||||||||
सतत विकास अर्थात् सस्टनेबल डेवलपमेंट पर वर्तमान में ग्राम से लेकर राज्य स्तर, राज्य स्तर से लेकर केन्द्र स्तर पर समय-समय पर बुद्धिजीवियों, वैज्ञानिकों, विशेषज्ञों द्वारा चर्चा की जाती है। अब तो यह अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर भी विशेष मुद्दा बन गया है। अंतराष्ट्रीय संस्थाऐं इस पर चर्चा करती हैं व इसी कड़ी में संयुक्त राष्ट्र द्वारा सतत् विकास के 17 लक्ष्य तय किये गए है, जिसे 2030 तक प्राप्त करने का समय तय किया गया है। भारत देश ने भी इन लक्ष्यों को प्राप्त करने वाली संधि में हस्ताक्षर कर सहमति दी है। सतत् विकास के लक्ष्यों को हम प्रमुख चार भागों में बांट सकते हैं, अधोसंरचना विकास आजीविका संवर्धन, सामाजिक सुरक्षा व सहभागिता तथा उत्तरदायित्व। सबसे पहिले हम अधोसंरचना विकास पर विचार करते है। यह बात सर्वमान्य है कि जहॉं बेहतर अधोसंरचना होती है, उन ग्रामों, शहरों को अच्छा माना जाता है तथा अच्छी अधोसंरचना से काम करने का बेहतर वातावरण मिलता है व बाहरी सम्पर्क बढ़ाने में मदद मिलती है, जिससे विकास को गति मिलती है। एक सहज प्रश्न उठता है कि क्या अब तक अधोसंरचनाओं का निर्माण नहीं किया गया? वास्तव में अधोसंरचनों का निर्माण निरंतर किया जा रहा है। फिर इसमें सवाल कहॉ है? इसे हम एक उदाहरण से समझते है। जब हमारे राज्य/देश में सड़कें बनती है, तब वह कई सालों तक बनती रहती है। इस बीच ये सड़कें धूल उड़ाती हैं व सड़क से लगी फसलों व पेड़-पौधों में जमा होती है, इससे फोटोसिंथेसिस की प्रक्रिया धीमी पड़ती है। फलस्वरुप फसल का उत्पादन घटता है। इसके साथ ही सड़के के आस-पास के रहवासियों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। ग्राम स्तर पर सामुदायिक भवन उत्साह से बनाए जाते है, किन्तु बनने के बाद इनके रख-रखाव के प्रबंधन की व्यवस्था प्रभावी न होने से ये ज्यादा उपयोगी सिद्ध नहीं होते है व कम अवधि में ही ये अपनी उपयोगिता खो देते है। उपरोक्त स्थिति में सवाल उठता है कि सतत् विकास के लिए इनमें क्या सुधार किया जावे। सबसे पहले तो इनमें गुणवत्ता पूर्ण माल लगाया जावे, सीमेंट, रेत, गिट्टी इत्यादि की गुणवत्ता उत्कृष्ट श्रेणी की हो। इसके पश्चात् इन परियोजनाओं को निश्चित समयावधि में पूरा किया जावे। तीसरी बात इनके बनने के बाद इन संरचनाओं, बिल्डिंग, रोड इत्यादि के निरंतर मॉनीट्रिंग की व्यवस्था हो। यह सिर्फ कागजी न हो बल्कि इसका समयबद्व क्रियान्वयन भी हो। हम देखते है कि छोटे से रखरखाव के लिए सड़कें जब तब बंद कर दी जाती है व असुविधाजनक डायवर्सन दे दिए जाते है। हैदराबाद नगर निगम द्वारा सड़कों की मरम्मत का कार्य प्रायः मोबाईल यूनिट द्वारा रात में किया जाता है। इससे आम जनता को असुविधा नहीं होती है। यदि समय पर सड़कों की मरम्मत होगी तो आस-पास के पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा इससे निष्कर्ष निकलता है कि अधोसंरचनाओं का निर्माण गुणवत्तापूर्ण व निश्चित समयावधि में करने से पर्यावरण प्रदूषण कम होगा व विकास को गति मिलेगी। प्राकृतिक संसाधनों का विकास- विकास में इस कड़ी की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका है। अध्ययनों में यह बात निरंतर उभर कर आ रही है कि जल, जंगल व जमीन की गुणवत्ता निरंतर खराब हो रही है। जल के अत्यधिक विदोहन से जल स्तर बहुत नीचे जा रहा है। वर्षो से संचित भूजल की मात्रा निरंतर घट रही है। अत्यधिक दोहन से जल में विशाक्त तत्व बढ़ रहे है। इससे पीने के पानी की गुणवत्ता निरंतर खराब हो रही है, जो की तरह-तरह की बीमारियों को जन्म दे रही है। इसके साथ ही जंगलों का रकवा निरंतर कम हो रहा है। वानस्पितिक आवरण घटने से ग्लोबल वार्मिग जैसी समस्या बढ़ रही है। इससे असमय बारिस की समस्याएं बढ़ रही है। जमीन में केमीकल फर्टीलाइजर व दवाओं के अत्यधिक उपयोग से मिट्टी की गुणवत्ता निरंतर खराब हो रही है। इसका दुष्प्रभाव लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। कुल मिलाकर हमें पूर्वजों से जिस गुणवत्ता के जल, जमीन व जंगल मिले थे। वे क्रमशः खराब स्थिति को प्राप्त हो रहे है। इन समस्याओं के हल के लिए हमारे देश में कुछ प्रयोग किए गए है। वे काफी सफल रहे है। उदाहरण स्वरूप अहमद नगर जिले का रालेगांव व हिवरे बाजार। उनका अनुकरण व व्यापक प्रचार-प्रसार कर हम काफी हद तक इससे निपटने में सफल हो सकते है। इन उदाहरणों की सूची लंबी हो सकती है। |
रालेगांव में एक समय लोग पीने के पानी के लिये तरसते थे। रोजी रोटी के लिए वे पुणे व मुंबई जैसे शहरों की ओर पलायन करते थे। अन्ना हजारे जी ने इस गांव के लोगो को पांच बंदी के लिए राजी किया। इनमें कुल्हाड़ बंदी, चराई बंदी, नशा बंदी, नसबंदी एवं आर्थिक योगदान इत्यादि शामिल था। इनका पालन करने के कारण आज यह गांव हराभरा एवं आत्मनिर्भर गांव बन गया है। हिबरे बाजार में गिरते भूजल स्तर से निपटने कम पानी वाली फसलों को प्रोत्साहित किया गया व गन्ने जैसी ज्यादा सिंचाई वाली फसलों को सीमित किया गया है। इससे गांव की पानी की समस्या का हल हुआ। इसी तरह चंडीगढ़ के नजदीक के ग्राम सुखोमाजरी में जल संरक्षण संरचनाओं के निर्माण व सोशल फेंसिग के माध्यम से शिवालिक पहाड़ियों का भूझरण रुका व वानस्पतिक आवरण बढ़ने से चंडीगढ़ की विश्व प्रसिद्ध सुकना झील में सिल्ट का जमाव घटा है। इस तरह इन प्रयोगों से प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण कर समस्या का समाधान किया गया। इन सभी प्रयोगो की सफलता में एक बात कॉमन यह थी कि इसका समाधान ग्राम सभा द्वारा किया गया। इससे एक बात निकलकर आती है कि पर्यावरण संरक्षण के समाधान का रास्ता लोकल से ग्लोबल है। हम कह सकते है, कि ग्राम पंचायत विकास योजना का सम्यक निर्माण व क्रियान्वयन पर्यावरण के वैश्विक समाधान के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण कड़ी है। जिस पर म0प्र0 शासन व भारत सरकार द्वारा अत्यंत बल दिया जा रहा है। आजीविका विकास भी विकास की एक महत्वपूर्ण कड़ी है। हमारे देश में Men, Money, Material व Machine का उचित उपयोग नहीं किया जा रहा है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा Men अर्थात मानव शक्ति का हैं। इसमें दो बातें चर्चा हेतु महत्वपूर्ण है। पहला इसकी संख्या अर्थात् आबादी जो कि विश्व की दूसरी है। इस मानव शक्ति की गुणवत्ता आज हमारे देश में ठीक नही है। संसार के कुल भूमि के रकवे के मान से देखे तो हमारे देश के पास विश्व का 2.5 प्रतिशत भूमि का रकवा है जबकि आबादी 16 से 17 प्रतिशत अर्थात संसार की औसत आबादी के मान से 6 गुना अधिक। इसका दुष्प्रभाव यह पड़ रहा है कि अधोसंरचनाओं के निर्माण का रकवा यथा सड़कों, मकानों, इमारतों इत्यादि का बढ़ रहा है व उत्पादक जमीन कम हो रही है। इसके साथ ही बढ़ती आबादी के साथ वाहनों की संख्या बढ़ रही है। इससे हवा में प्रदूषण बढ़ रहा है। दिल्ली में पर्यावरण की बिगड़ती स्थिति के कारण ऑड-ईवन प्रणाली लागू करना एक उदाहरण है। यह उदाहरण हमें बतलाता है कि विगत वर्षो में वाहनों की संख्या तो बढ़ती रही किन्तु उस अनुपात में पर्यावरण संरक्षण संबंधी उपायों पर यथा समय, नियोजन व क्रियान्वयन में ध्यान नहीं दिया गया है। दूसरी बात गुणवत्ता पूर्ण मानव शक्ति बढ़ाने की है। इस संबंध में भारत सरकार के स्किल डेवलपमेंट मंत्रालय के माध्यम से कार्य किया जा रहा है। विकास कार्यकर्ता/अधिकारी इस दिशा में कार्य कर सकते है जिससे देश में गुणवत्तापूर्ण आबादी की संख्या बढे। सतत् विकास की कड़ी में तीसरी अहम् बात आती है। सामाजिक सुरक्षा। एक महान व्यक्ति ने कहा है कि समाज में बुजुर्गो के साथ, जैसा व्यवहार किया जाता है उससे उस समाज के विकास की पहचान होती है। इसके साथ ही हम तमाम वंचित वर्गो गरीब, मजदूर, दिव्यांग, महिलाएें इत्यादि सभी को रख सकते है। इन सभी वर्गो की प्रगति से राष्ट्र का समग्र विकास हो सकता है। अतः यह ध्यान रखना है कि विकास प्रक्रिया में सबका विकास शामिल हो। सतत् विकास के लिए यह आवश्यक है कि समाज के सभी वर्गो के लोगो में व्यवस्था के प्रति विश्वास हो। सहभागिता एवं उत्तर दायित्व- इसे एक उदाहरण से समझते है। मध्यप्रदेश के एक गांव में एक महाविधालय के प्राध्यापक राष्ट्रीय सेवा योजना के तहत् एक गांव में छात्रों से सोख्ता गड्ढ़ा का निर्माण कराते हैं। जनपद के सहयोग से मटेरियल की व्यवस्था करते हैं। अंत में वे काम पूरा कर गांव से वापस जाने लगते है तो गांव के एक बुजुर्ग प्राध्यापक को याद दिलाते है कि ये जो ईट, पत्थर बच गए है, उसे कौन हटायेगा। इससे पता चलता है कि लोगों की राय में ग्रामीण विकास करने का दायित्व सिर्फ शासन का है। शासकीय कार्य को वे अपना नहीं समझते है। ग्रामीणों में अपनापन बढ़ाने के लिए आवश्यक है कि न केवल उनकी सहभागिता से समस्याओं की पहचान की जावे बल्कि इसमें स्थानीय समुदाय की सहभागिता व उत्तर दायित्व सुनिश्चित किया जावे। ऐसा देखा गया है कि जहॉं स्थानीय समुदाय योगदान करता है चाहे वह श्रम या पूंजी का हो, वहां वह उसके निर्माण पश्चात् रखरखाव में भी ध्यान देता है। उपरोक्त वर्णन से स्पष्ट होता है कि सतत् विकास के लिए हमें विकास को समग्र रूप में समझकर करना होगा, जिसमें अधोसंरचना विकास, पर्यावरण विकास, साथ ही सहभागिता व उत्तरदायित्व होगा तभी यह सतत अर्थात सस्टनेबल डेवलमेन्ट होगा।
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नव नियुक्त विकासखण्ड अधिकारियों का आधारभूत प्रशिक्षण | ||||||||||||||
महात्मा गांधी राज्य ग्रामीण विकास एवं पंचायतराज संस्थान-म.प्र., अधारताल जबलपुर में मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा चयनित नवनियुक्त विकासखण्ड अधिकारियों का दिनांक 23 जनवरी 2017 से 02 मार्च 2017 की अवधि में आधारभूत प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। जिसमें कुल 61 प्रतिभागी जिसमें 32 महिला एवं 29 पुरूष प्रतिभागी उपस्थित हैं, जिन्हें विभाग से संबंधित विभिन्न विषयों पर जैसे - पंचायतराज, सामाजिक न्याय, वित्तीय प्रावधान, लेखा प्रणाली, सूचना प्रौद्योगिकी एवं ग्रामीण विकास की योजनाओं तथा कार्यालय प्रबंधन पर प्रशिक्षित किया जा रहा है। इसके साथ-साथ प्रतिभागियों के व्यवहारिक ज्ञान वृद्धि हेतु जिला कटनी के जनपद पंचायत ढीमरखेड़ा में साधारण सभा की बैठक का अवलोकन कराया गया। |
जबलपुर जिले की जनपद पंचायत जबलपुर में आयोजित विशेष ग्रामसभाओं में प्रत्येक प्रतिभागी ने एक पंचायत की ग्रामसभा में उपस्थित होकर ग्रामसभा के संचालन की प्रक्रिया का अनुभव प्राप्त किया।
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