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त्रैमासिक - छठवां संस्करण (द्वितीय वर्ष) | जनवरी, 2012 |
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अनुक्रमणिका | हमारा संस्थान | |||||||||||||||||||
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श्री हीरालाल त्रिवेदी, तत्कालीन सचिव, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा समीक्षा बैठक | ||||||||||||||||||||
महात्मा गाँधी राज्य ग्रामीण विकास संस्थान में दिनांक 3 नवम्बर 2011 को तत्कालीन सचिव, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, श्री हीरालाल त्रिवेदी की अध्यक्षता में समीक्षा बैठक संपन्न हुई। बैठक में श्री के.के. शुक्ल, तत्कालीन संचालक , श्री संजीव सिन्हा उपसंचालक एवं समस्त संकाय सदस्य उपस्थित रहे। बैठक में सचिव महोदय द्वारा विभिन्न प्रशिक्षण गतिविधियों की समीक्षा की गई और प्रशिक्षण गुणवत्ता हेतु दिशा निर्देश दिए गए। एवं ग्रामीण यांत्रिकी सेवा द्वारा संस्थान में कराए जा रहे विभिन्न निर्माण कार्यों का निरीक्षण भी किया गया। |
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आपदाओं का सामना करने की तैयारी | ||||||||||||||||||||
प्रतिदिन सुबह की तरह आज भी मैं सुबह उठी, चाय की प्याली के साथ अखबार पढ़ना शुरू किया। अखबार की प्रथम पंक्ति थी “26/11 भारत के इतिहास का काला दिन” इस पंक्ति को पढ़कर मानो सारी पुरानी यादें ताजा हो गईं। फिर मन विचलित हुआ और सोचा क्या सिर्फ 26/11 ही काला दिन था, नहीं भारत के इतिहास में और भी ऐसे दिन हैं जिनको याद कर कर आज भी रोना आ जाता है, जैसे कि गुजरात में आया भूकंप, सुनामी, बिहार कि बाढ़ ये कुछ ऐसी घटनाएँ हैं जिन्होंने हमारे जन जीवन और परि- सम्पत्तियों को अस्त व्यस्त कर दिया है । इन घटनाओं को हम प्राकृतिक आपदाओं के नाम से जानते हैं। इन आपदाओं को हम रोक तो नहीं सकते पर इनका प्रभाव कम कर सकते हैं। आज विश्व का कोई भी देश ऐसा नहीं है जो इन आपदाओं से अछूता हो। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हर देश इनके परिणामों का शिकार होता रहा हैं। आज के परिदृश्य में जलवायु परिवर्तन के कारण इनकी मात्रा अधिक होने लगी हैं। पर क्या सिर्फ प्रकृति ही आपदाओं का कारण हैं? नहीं, कहीं न कहीं मनुष्य भी इसके लिए जिम्मेदार है आज हम 21वी शताब्दी में जी रहें हैं। हम लोग संसाधनों के अधीन हो गए हैं, जिनके कुछ अच्छे परिणाम भी हैं कुछ गलत भी। बाढ़, भूकंप, बम्ब धमाका, आतंकी आक्रमण, मौसमी परिवर्तन, सूखा, आर्थिक मंदी, सर्वनाशी आग तथा अति-सर्दी ये कुछ 21वी शताब्दी कि आपदाओं के उदाहरण हैं जो कि इस समय सर्वाधिक पाई जा रही हैं। आइये अब हम भारत कि बात करें भारत भी इन आपदाओं से प्रभावित है। प्रतिवर्ष लगभग 4344 लोग इन आपदाओं में अपनी जान गवां देते हैं। साथ ही लगभग 30 लाख लोग इससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रतिवर्ष प्रभावित होते हैं। हमारे देश मैं जागरूकता का अभाव है जिसके चलते इन आपदाओं से ज्यादा नुकसान होता है। अगर हमें इनके बारे में पूरी जानकारी और जागरूकता हो तो हम इनसे होने वाले जान ओर माल के नुकसान को कम कर सकते हैं। इन आपदाओं से निपटने के लिए हमें विभिन्न स्तर पर निम्न तैयारियां करनी होगी-
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हमारे गाँव में बाढ़ और भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदा प्रायः आती हैं, इनसे निपटने के लिए हमारी पंचायतों को हमेशा तैयार रहना चाहिए। आपदा प्रबन्धन में पंचायतों कि भूमिका मुख्य होती है जो कि निम्न होनी चाहिए-
“आइये आपदाओं का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार रहें।“
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महिलाओं में शिक्षा के द्वारा सशक्तिकरण | ||||||||||||||||||||
किसी भी राष्ट्र के मजबूत निर्माण में आर्थिक एवं सामाजिक विकास की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। और इन सभी को पाने के लिए शिक्षा एक अहम इकाई है। पढ़ाई मानव योग्यता का एक जरूरी हिस्सा होता है। साक्षरता पहला कदम है जिससे शिक्षा पाने के अन्य उपकरण मिलते है। तथा ज्ञान और सूचनाओं की एक बड़ी दुनिया के दरवाजे खुल सकते है। शिक्षा से औरतों के पास अवसर बढ़ जाते है। वे जानकर चुनाव कर सकती है। दबाव का विरोध करने में सक्षम हो जाती है। तथा अपने हक मांगने योग्य हो जाती है। शिक्षा का अधिकार अन्य बुनियादी मानव अधिकार अटूट रूप से जुडा हुआ है। जैसे-भेदभाव से आजादी का अधिकार काम का अधिकार स्वयं तथा समुदाय को प्रभावित करने वाले फैसलो में भागीदारी का अधिकार। एक महत्वपूर्ण प्रश्न उठता है कि भारतीय औरतें कितनी शिक्षित है ? 1999 की जनगणना के समय सिर्फ 39% भारतीय औरते पढ़ लिख सकती थी। 2001 की भारतीय जनगणना के अनुसार महिला साक्षरता दर 54% तक पहुच गई है। भारतीय संविधान में औरतो तथा पुरूषों को समान रूप से शिक्षा पाने का अधिकार लेकिन फिर भी औरतो तथा पुरूषों की साक्षरता दर के बीच की खाई इस बात की सूचक है कि औरतों के साथ भेदभाव किया जाता है। साक्षरता में औरतो का पिछडापन न सिर्फ उन्हे शिक्षा के अधिकार से बंचित रखता है बल्कि यह आर्थिक समझदारी के खिलाफ है। |
शिक्षा के द्वारा महिला एवं बालिका का सशाक्तिकरण व जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में गुणवत्ता को बढ़ाना यह प्रमुख रूप से किया जाना आवश्यक है। कुछ प्रमुख सुझावो को अपना कर हम महिला को शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी बना सकते है जैसे-
इन प्रमुख सुझावों के माध्यम से शिक्षा के द्वारा महिला सशाक्तिकरण को और बढ़ाया जा सकता है। विकास की मांग है कि अवसरों की समानता हो यानि सभी नागरिकों को आर्थिक सामाजिक, राजनैतिक तथा संस्कृतिक अवसरो तक समान पहुँच हो। अंत में यह कहा जा सकता है कि महिलाओं को बिना शिक्षित किए हम विकास के मापदण्डों को पूरा नहीं कर सकते हैं। शिक्षा का अधिकार सर्वोंपरि है।
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पंचायतों का आर्थिक सुदृढ़ीकारण | ||||||||||||||||||||
73 वे संविधान संशोधन के बाद हमारे देश में त्रिस्तरीय पंचायती राज की व्यवस्था लागू की गई । पंचायत स्तर पर ग्राम पंचायत का गठन किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य ग्राम पंचायत स्तर पर सुशासन व स्वशासन की व्यवस्था करना है। ग्राम पंचायत विकास की महत्वपूर्ण कड़ी है । जो पंचायत जितने ज्यादा विकास कार्य करेगी वह उतनी ही अच्छी पंचायत कहलायेगी। विकास कार्यो के लिए जनसहभागिता के साथ साथ धन की भी आवश्यकता होती है शासन से जो भी राशि हमें प्राप्त होती है उसे हम उनके मानकों के अनुसार ही खर्च कर सकते हैं। एंव शासन से राशि हमें प्राप्त होती है वह विकास कार्यो के लिए कम भी होती है इसलिए यह जरूरी है कि हमें पंचायत स्तर पर आय सृजन के कार्य करने चाहिए जिससे कि पंचायत आत्मनिर्भर होकर विकास के अधिक से अधिक कार्य कर सकें। ग्राम पंचायत के आय के स्त्रोत-
म.प्र. पंचायती राज एंव ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 की धारा 77 के अनुसार ग्राम पंचायत ग्राम सीमा के अंदर रहने वाले निवासियों पर दो प्रकार के कर लगा सकती है।
हमारे देश में केन्द्र व राज्य सरकारों की आमदनी का बड़ा हिस्सा कर के द्वारा ही प्राप्त होता है। प्रायः देखने में यह आया है कि अधिकांश सरपंच पंचायत में कर नहीं लगाते उनकी ऐसी अवधारणा है कि यदि हम कर लगायेंगे तो हम असफल हो जायेंगे या हमें यह पद गवाना पड़ेगा, ऐसा नहीं है। कर लगाने से पहले जनता को विश्वास में लेना होता है कि कर द्वारा जो भी राशि प्राप्त होगी उसे हम पंचायत के विकास कार्य में लगायेंगे। |
कर लगाने की प्रक्रिया -
ग्राम पंचायत जो भी कर आरोपित करेगी उसके लिए ग्रामसभा संकल्प पारित करेगी । ग्राम सभा जो भी कर लगायेगी उसके पहले गांव के सभी लोगों को बताना होगा कि अमुक तारीख को ग्राम सभा की बैठक होगी जिसमें कर आरोपण की बात की जावेगी। इस आशय की सूचना गांव की मुख्य जगहों पर चिपकाकर व डौडी पिटवाकर ग्रामीणों को दी जावेगी। ग्राम सभा में कर आरोपण का संकल्प पारित करने से पहले इस बात का ध्यान भी रखना चाहिए कि करारोपण की राशि न्यूनतम रखी जावे जिसे कि आम जनता वहन कर सके । ग्राम सभा जो भी कर लगायेगी उस पर गांव वालेअपनी आपत्ति या सुझाव लिखित में भेज सकेंगे । इसके लिए ग्राम सभा को एक निश्चित तारीख तय करके गांव वालों को बताना होगा जिससे कि उस तारीख तक गांव वाले आपत्ति या सुझाव ग्राम सभा को भेज सकेंगे । जो सभी अनिवार्य एंव एच्छिक करों पर लागू होती है । ग्राम सभा में आपत्ति एंव दावे 15 दिन तक आमंत्रित किये जाते हैं एंव ग्राम पंचायत में आपत्ति एंव दावे 30 दिन तक आमंत्रित किये जाते हैं। गांव वालों की आपत्तियां एंव सुझावों पर विचार करने के बाद ही ग्राम सभा कर लगाने का फैसला कर सकेगी। ग्राम सभा द्वारा जो भी कर लगाने का फैसला लिया जावे उसकी सूचना लिखकर गांव के मुख्य स्थानों पर चिपकाई जावे और डोडी पिटवाकर लोगों को सूचना की जावे । ऐसी सूचना टेक्स लगाने के एक महिने पहले दी जावे। कर कब से प्रभावी होगे-ग्राम पंचायत द्वारा जो भी कर आरोपित किये जावेंगे वे आम तौर पर 1 अप्रेल से 31 मार्च तक की अवधि के लिए लगाये जावेंगे।
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बदलती तस्वीर | ||||||||||||||||||||
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सरपंच के विरूद्ध अविश्वास प्रस्ताव | ||||||||||||||||||||
म.प्र. पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 के अंतर्गत त्रिस्तरीय पंचायत राज व्यवस्था में ग्राम पंचायत स्तर पर निर्वाचित सरपंच ग्राम पंचायत का प्रमुख पदाधिकारी है वह कार्यालय प्रमुख है तथा ग्राम पचायत के विकास के लिए जिम्मेदार है। अतः इस हेतु अधिनियम द्वारा उसे व्यापाक अधिकार एंव दायित्व सौंपे हैं । प्रजातांत्रिक विकेन्द्रीकरण में शासक निरंकुश न हो तथा अपने अधिकारों का दुरूपयोग न करे इसे रोकने हेतु अधिनियम में कुछ सीमायें भी निर्धारित की हैं । राष्ट्र कवि श्री मैथिली शरण गुप्त ने इस संबंध में लिखा है - “राजा प्रजा का पात्र है वह लोक प्रतिनिधि मात्र है हम दूसरा राजा जो चुने जो सब तरह हमारी सुने “विनय न मानत जलधि जड गये तीन दिन बीत प्रजातांत्रिक व्यवस्था में नियमों का पालन होता रहे तथा प्रशासन सुशासन के रूप में संचालित होता रहे, तथा जनता का विश्वास लोक तंत्र में बना रहे शासक स्वेच्छाधारी, निरंकुश न हो सके तथा नियमों के अंतर्गत कार्य करते रहे यह वर्तमान समय में सबसे बड़ी आवश्यकता है । पंचायत राज में सरपंच को अपने पद का दायित्व सुचारू रूप से चलाने हेतु कुछ सीमायें निर्धारित की है किन्तु सरपंच यदि इन सीमाओं का उल्लंघन करता है, स्वेच्छाधारी हो जाता है पद का दुरूपयोग करता है, भाई भतीजावाद करता है, भ्रष्टाचार करता है, धन का दुरूपयोग करता है या ऐसा कोई अन्य काम करता है तो अधिनियम एंव शासन आदेेशों के विरूद्ध( है तो पंचायत अधिनियम की धारा 21 के अंतर्गत अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है । इसके प्रमुख बिन्दु इस प्रकार हैं- अविश्वास प्रस्ताव कौन लायेगा ग्राम पंचायत के निर्वाचित पंच सरपंच के विरूद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाते हैं। पंचों की संस्था निर्वाचित पंचों में से एक तिहाई होना आवश्यक है। ये सदस्य निर्धारित प्रारूप पर आवेदन सक्षम अधिकारी (अनुविभागीय अधिकारी राजस्व) को अपने हस्ताक्षर कर सौंपकर पावती लेंगे। अविश्वास सूचना का प्रारूप प्रति,विहित प्राधिकारी हम ग्राम पंचायत ..................... के सरपंच के विरूद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाने का आशय रखते हैं। अविश्वास प्रस्ताव के आधार निम्नानुसार हैं -दिनांक ............................... हस्ताक्षर सक्षम अधिकारी आवेदन पत्र पर पंचों के हस्ताक्षर सही हुए या नहीं छल, कपट या दबाब में तो नहीं हुये हैं। इनका समाधान करेंगे । समाधान हो जाने पर ही आगे की कार्यवाही संपन्न करेंगे। |
अविश्वास प्रस्ताव कब लाया जा सकता है -
सक्षम अधिकारी को जब यह समाधान हो जाता है कि एक तिहाई पंचों द्वारा दिया गया आवेदन सही है तथा समय सीमा का पालन किया है तो अविश्वास प्रस्ताव की बैठक अध्यक्षता करने हेतु एक पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति करेगा यह शासकीय सेवक होगा जिसका पद नायब तहसीलदार के स्तर से कम नहीं होगा। उल्लेखनीय है कि इस बैठक की अध्यक्षता सरपंच/उपसरपंच/पंच नहीं कर सकते हैं। पीठासीन अधिकारी नियुक्ति होते ही वह सर्वप्रथम अविश्वास बैठक की तारीख निश्चित करेगा तथा इसकी सूचना ग्राम पंचायत के सचिव के माध्यम से संबंधित पंचों को तामिल करावेगा। सूचना में तारीख स्थान, समय आदि का स्पष्ट रूप से उल्लेख होगा। पीठासीन अधिकारी को यदि ऐसा लगता है तो पुलिस बल भी बैठक वाले दिन उपस्थित रहने हेतु व्यवस्था करेगा। कि अविश्वास प्रस्ताव की बैठक में सुरक्षा आवश्यक है तो संबंधित थाने को सूचित करेगा। सम्मिलन का संचालन -
विचार विमर्श हो जाने के बाद पीठासीन अधिकारी सम्मेलन में उपस्थित सदस्यों को एक-एक करके बुलायेगा और अपने सम्यक हस्ताक्षर द्वारा पक्ष या विपक्ष में अपना मत डालने के लिए मतपत्र प्रदान करेगा। ऐसा सदस्य जो प्रस्ताव के पक्ष में मतदान देना चाहता है सही () का तथा विपक्ष में गलत () का चिन्ह लगावेगा। मतपत्र पर चिन्ह अंकित कर मतपेटी में मतदाता डालेगा। मतदान हो जाने के पश्चात पीठासीन अधिकारी मतपेटी से मतपत्र निकालकर मत पत्रों के पक्ष-विपक्ष की गिनती करेंगे। नियम-अविश्वास प्रस्ताव तभी पारित होगा जब बैठक में पंचायत के 3/4 सदस्य उपस्थित हों तथा तत्समय गठित पंचायत के 2/3 सदस्य से प्रस्ताव के समर्थन में मतदान करें। यदि अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाता है तो सरपंच को अपने पद से हटना पड़ेगा । सरपंच 30 दिन के अन्दर कलेक्टर को अपील कर सकता है तथा कलेक्टर का निर्णय अंतिम होगा।
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प्रशासनिक कार्यो में प्रबंधन का महत्व | ||||||||||||||||||||
हमारा घर हो या कार्यालय , यदि इन स्थानों पर योग्य प्रबंधन व्यवस्था नहीं होगी तो, वातावरण में नीरसता, कार्य करने में उदासीनता, हमें दिखाई देगी । कार्यालय प्रबंधन में सबसे अहम भूमिका कार्यालय के मुख्य अधिकारी की होती है, कहा भी गया है, यथा राजा तथा प्रजा अर्थात जैसा राजा होगा वैसी ही उसकी प्रजा होगी अर्थात राजा के गुणों को ही प्रजा स्वीकार करती है। व्यक्ति के जीवन में प्रबंधन का एक विशेष महत्व है, यदि उसकी दिनचर्या में व्यक्तिव प्रबंधन होगा तो वह निश्चित ही कम समय में अधिक कार्य कर सकता है। कहा भी गया है ’’जो अच्छा प्रबंधक है वह ही अच्छा इंसान है’’ कार्यालय का उत्तम प्रबंध उसके प्रषासक पर निर्भर करता है। कार्यालय के प्रशासक को भिन्न-भिन्न कार्य अनेक प्रकार की भिन्न-भिन्न अवस्था में करने पडते है । उत्तम प्रशासक में उत्तम चरित्र तथा समर्पण भाव से कार्य करने के गुण प्रधान रूप से आवश्यक है। कुशल प्रशासक के कुछ गुण इस प्रकार हो सकते है -
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योग्य प्रशासक सदैव उन्नति के मार्ग पर अग्रसर रहने के लिये प्रयासरत रहता है एवं प्रगति की ओर निरन्तर निर्बाध रूप से वढ़ाता रहता है।
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समूह एक वरदान | ||||||||||||||||||||
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संकाय सदस्यों का कौशल विकास कार्यक्रम | ||||||||||||||||||||
संस्थान के फैकल्टी डेव्हलपमेंट प्रोग्राम के अंतर्गत राज्य में संचालित यू.एन.डी.पी.-सी.डी.एल.जी. परियोजना से अंतर्गत संकाय सदस्यों के क्षमता विकास हेतु अभिनव प्रयास किये जा रहे हैं । महात्मागांधी राज्य ग्रामीण विकास संस्थान - म.प्र. जबलपुर, समस्त क्षेत्रीय ग्रामीण विकास प्रशिक्षण केन्द्र, समस्त पंचायत प्रशिक्षण केन्द्र व संजय गांधी युवा नेतृत्व एवं ग्रामीण विकास प्रशिक्षण संस्थान, पचमढ़ी के संकाय सदस्यों के दक्षता व प्रशिक्षण कौशल को और प्रभावशाली बनाने के उद्देश्य से कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DOPT) |
भारत सरकार से प्रमाणित प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के विभिन्न प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण (टी.ओ.टी.) कोर्स जैसे प्रत्यक्ष प्रशिक्षण कौशल (डी.टी.एस.), प्रशिक्षण प्रबंधन (एम.ओ.टी.) प्रशिक्षण आवश्यकता विश्लेषण (टी.एन.ए.) पर विभिन्न प्रशिक्षण कार्यशालाओं का आयोजन किया गया जिसमें विभिन्न प्रशिक्षण संस्थाओं के संकाय सदस्यों द्वारा प्रशिक्षण प्राप्त किया गया है।
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प्रकाशन समिति | ||||||||||||||||||||
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