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त्रैमासिक - नौवां संस्करण (तृतीय वर्ष) अक्टूबर, 2012
अनुक्रमणिका हमारा संस्थान
  1. "मॉनिटरिंग एण्ड इम्पैक्ट इवैल्युएशन" विषय पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला
  2. अपनी बात ....
  3. उमरिया फेस 2 - ग्रामसभा एवं सामुदायिक मेले का आयोजन
  4. महिला पंचायत प्रतिनिधि और सामाजिक तत्व
  5. महिलाओं की स्थिति और समाज
  6. उमरिया फेस-2 - महिला सशक्तिकरण के संदर्भ में शैक्षणिक भ्रमण
  7. बदलती तस्वीर (चित्र कथा)
  8. एनिमिया एक व्यापक समस्या
  9. केस स्टडी - मेहनत रंग लाई
  10. मुख्य कार्यपालन अधिकारी/विकास खण्ड अधिकारियों का आधारभूत प्रशिक्षण का आयोजन

"मॉनिटरिंग एण्ड इम्पैक्ट इवैल्युएशन" विषय पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला

दिनांक 09.10.2012 से 11.10.2012 से संस्थान में "मॉनिटरिंग एण्ड इम्पैक्ट इवैल्युएशन" विषय पर प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन महात्मा गांधी राज्य ग्रामीण विकास संस्थान में दिनांक 9 से 11 अक्टूबर 2012 तक किया गया। विदित हो, कि यह कार्यशाला पंचायतराज मंत्रालय भारत शासन द्वारा प्रायोजित की गई थी। इस कार्यशाला में सरपंच के साथ-साथ संस्थान सहित क्षेत्रीय ग्रामीण विकास प्रशिक्षण केन्द्र एवं पंचायत प्रशिक्षण केन्द्र के संकाय सदस्य, प्रोग्रामर्स एवं अधिकारियों ने, प्रतिभागिता सुनिश्चित करके आयोजित होने वाले प्रशिक्षण कार्यक्रमों की निगरानी तथा प्रभाविता का मूल्यांकन करने की विविध प्रणालियाँ व विभिन्न चरणों को सीख कर आत्मसात् किया।



प्रशिक्षण कार्यक्रम का संचालन निजी संस्था ‘रमन डेव्लपमेंट कंसल्टेंट ग्रुप‘ अहमदाबाद के डॉ. केतन गांधी एवं सुश्री अमृता ने किया। कार्यक्रम का शुभारंभ संस्थान के उपसंचालक श्री संजीव सिन्हा ने किया तथा कार्यक्रम का समन्वयन श्री अभिषेक खरे टी.एस.ओ., यू.एन.डी.पी.-सी.डी.एल.जी. प्रोजेक्ट ने किया।

  अनुक्रमणिका  
उमरिया फेस 2-ग्रामसभा एवं सामुदायिक मेले का आयोजन
अपनी बात .....


"पहल" के प्रकाशन की श्रृंखला में इस नौवें संस्करण के साथ तृतीय वर्ष में प्रवेश करते हुए हमें हर्ष के साथ गर्व की अनुभूति हो रही है।

गर्व इसलिये कि यह संस्थान अपने स्वयं के स्त्रोत व्यक्तियों एवं क्षेत्रीय ग्रामीण विकास प्रशिक्षण केन्द्रों के स्त्रोत व्यक्तियों के भरपूर सहयोग के रूप में प्राप्त उनकें संस्मरणों एवं आलेखों का प्रकाशन करते हुए सफलता के इस मुकाम तक पहुँचा है।

पंचायत एवं ग्रामीण विकास की विकासोन्मुखी योजनाओं के लेख इन संस्करणों में प्रकाशित किये गये हैं।

इसी कड़ी में यह नौवा संस्करण, महिला प्रतिनिधियों के साथ समाज की भूमिका, समाज में महिलाओं की स्थिति संबंधित लेख के साथ बदलती तस्वीर के माध्यम से पंचायत पदाधिकारियों को वापिस बुलाने के अधिकार को रौचक चित्रकथा के रूप में प्रकाशित किया गया है।

आशा है यह संस्करण आपकी आशाओं के अनुकूल रूचिकर लगेगा।

आपकी प्रतिक्रियाऐं पहल के प्रकाशन की निरंतरता बनाये रखती है। कृपया हमें अपनी प्रतिक्रियाऐं अवश्य भेजें।



निलेश परीख
संचालक

वही गांव की सुरक्षा के लिए चैकीदार की नियुक्ति, अपंग, बीमार व्यक्तियों को तुरंत मेडिकल सहायता देने की बात हुई। सामुदायिक मेले में नुक्कड़ नाटकों के द्वारा जन जन में सरकारी योजनाओं के प्रति जागरूकता का सन्देश दिया गया। कार्यक्रम में शामिल अधिकारियों व स्वयं महिला सरपंचों ने इस बात को स्वीकार किया कि इससे पूर्व ग्राम सभा में ग्रामवासियों ने इतने उत्साहपूर्वक भाग नहीं लिया और न ही उपस्थिति दर्शाई, वही महिला सरपंचों ने भी आत्मविश्वास पूर्वक ग्राम विकास के कार्यों में पूरी रूचि व तत्परता से भाग लिया जो एक सराहनीय कदम है।

जिला उमरिया के इतिहास में 5 से 9 नवम्बर 2012 के दिन निसंदेह अविस्मरणीय दिनों में गिने जायेंगे जब उमरिया के तीनों जनपदों (करकेली, मानपुर, पाली )में महिला सरपंचो के सशक्तिकरण व क्षमतावर्धन हेतु विशेष ग्रामसभा एवं सामुदायिक मेले का आयोजन किया गया, जिसमे पहली बार ग्रामवासियों ने भारी संख्या में उपस्थित होकर ग्रामसभा की कार्यवाही को सुचारू रूप से जाना और ऐसा यू.एन.डी.पी. एवं महात्मा गांधी राज्य ग्रामीण विकास संस्थान, अधारताल, जबलपुर के संयुक्त प्रयासों की वजह से संभव हो सका, इस विशेष ग्रामसभा के तहत तीनों जनपदों में ग्रामवासियों ने महिला सरपंचो की अध्यक्षता में अनेक प्रस्तावों जैसे इंदिरा आवास योजना, राशन कार्ड, वृद्धावस्था पेंशन, पानी की समस्या को हल करने कुए, हैण्डपम्प का निर्माण, घरों में शौचालय निर्माण जैसी समस्याओ के अलावा कुछ रोचक एवं गंभीर मामलों पर भी चर्चा की गई मसलन-बंदरों द्वारा खेतों को नष्ट करने, सी.सी. रोड में बाधक बने किसानों के खेत, नशामुक्ति, लोगो के घरों में शौचालय निर्माण को प्राथमिकता देने के उद्देश्य से एक महिला निगरानी समिति का गठन किया गया जिसमे खुले में शौच जाने वालों पर रू. 50/- जुर्माना वसूलने का प्रस्ताव पारित किया गया।

इस आयोजन में यू.एन.डी.पी. के श्री संजीव शर्मा (प्रबंधक राष्ट्रीय परियोजना), एस.आई.आर.डी. के संचालक श्री निलेश परीख, उमरिया कलेक्टर श्री सुरेन्द्र उपाध्याय, (आई.ए.एस.) मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत, उमरिया व जनपद सीईओ, परियोजना अधिकारी तथा क्षेत्रीय विधायक श्रीमती मीना सिंह, जनपद अध्यक्ष श्रीमती ज्ञानवती के अलावा उमरिया फेस-2 परियोजना टीम सदस्यों के साथ ही फेसिलिटेटर तथा भारी संख्या में ग्रामवासियों की उपस्थिति से कार्यक्रम सफल हुआ।



अनुक्रमणिका  
महिला पंचायत प्रतिनिधि और सामाजिक तत्व

स्त्री और पुरूषों का लिंग भेद एक राजनैतिक विचार धारा है। जिसका उददेश्य समाज में पुरूष प्रधानता को स्थायी बनाये रखना है। समाज एक लम्बे समय से लिंग भेद को अपनाये हुये है। इसके अंतर्गत अनेक प्रकार से पुरूषों की श्रेष्ठता और स्त्रियों की हीनता का सिद्धांत करीब करीब सभी समाजों में स्थापित है। पुलिंग जाति की हीनता का सिद्धांत एक वैज्ञानिक तरीके से सुस्थापित रखा जाता है। श्रेष्ठता का सिद्धान्त एक वैज्ञानिक तरीके से सुस्थापित रखा जाता है। बाल्यावस्था से ही लिंग भेद की शिक्षा दी जाती है। इसी समय में लड़के और लड़कियों के कार्य और व्यवहार बांट दिये जाते हैं।

बचपन से ही लड़के लड़की में भेद किये जाने का परिणाम यह होता है कि बच्चों के दिमाग में पूर्वाग्रह और कुछ पूर्व निर्धारित निश्चित धारणायें घर कर जाती हैं। जिससे उनके स्वतंत्र और सर्वोन्मुखी विकास में बाधा पड़ती है। हमारी महिला पंचायत प्रतिनिधि भी इसी समाज का हिस्सा हैं। अतः उनकी सोच भी उक्त तथ्यों से अलग हो पाना मुश्किल है।

हमारे समाज में पुरूष प्रधानता का परिणाम यह हुआ है कि अधिकांश महिलाओं का राजनीति में प्रवेश संयोगवश हुआ है। उनके राजनीति में प्रवेश के लिये कई परिस्थितयां प्रेरक तत्व बनती हैं । पहला तो पारिवारिक सहमति, दूसरा आकस्मिक और तीसरा विशिष्ट जातिगत स्थिति आदि। सामान्यतः महिला जनप्रतिनिधि के लिये ये तीनों ही तत्व महत्वपूर्ण होते हैं।

प्रत्येक राजनीतिज्ञ सत्ता का आकांक्षी होता है और वह तब तक सफल राजनीतिज्ञ नहीं कहला सकता जब तक कि वह बार बार चुनाव न जीत सके। अतः जनप्रतिनिधियों का अधिकांश समय निर्वाचकों की मांगों की पूर्ति करने में खर्च होता है। अधिकांश महिला जनप्रतिनिधियों को निर्वाचित होने में परिवार और जाति विशेष का सहयोग मिला होता है। अतः उन्हें उनके साथ सहयोग करना होता है।

यहां यह बात भी गौर करने लायक है कि बहुत सी महिला प्रतिनिधियों का पंचायत में जीत कर आने में उनके रिश्तेदार अथवा निकट संबंधियों का योगदान होता है। जब महिला प्रतिनिधि चुनाव जीत कर आ जाती हैं तो वे महिलाओं को अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए अपेक्षित स्वायत्तता और स्वतंत्रता नहीं दे पाते। अधिकांश महिलाओं के पुरूष सहयोगी अपना वर्चस्व छोड़ने के लिए आसानी से तैयार नहीं होते। उन्हें यह डर लगा रहता है कि कहीं महिला पंचायत प्रतिनिधि उनके सहयोग के बिना अपनी जबावदारी पूरी कर सकेगी या नहीं।

लिंगभेद की सामाजिक विचारधारा का परिणाम यह है कि आम व्यक्ति को अपने क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि से सीधे भेंट करने में अनेक बार संकोच महसूस होता है। अतः आवश्यकता के समय जनप्रतिनिधि के निकटतम व्यक्ति के माध्यम से सम्पर्क करने का प्रयास किया जाता है। सामान्यतः यह निकटतम व्यक्ति महिला पंचायत प्रतिनिधि के पुरूष रिश्तेदार अथवा सहयोगी होते है। धीरे घीरे यह निकटतम व्यक्ति बिचैलिये की भूमिका में आ जाते हैं।

सामान्य तौर पर यह माना जाता है कि प्रतिनिधि का अपने निर्वाचन क्षेत्र से धनिष्ट संबंध होना चाहिये । यह धनिष्ट संबंध दो कारणों से आवश्यक है । पहला तो धनिष्ट संबंध होने से क्षेत्रीय समस्याओं से वह पूरी तरह अवगत रहता है। दूसरा धनिष्ट संबंध होने का प्रभाव उसके आगामी चुनाव से जुड़ा रहता है। लिगं भेद की विचारधारा का परिणाम विचैलियों का उदय है। अतः अनेक बार बिचैलियों के माध्यम से ही क्षेत्रीय जनता से सम्बन्ध जोड़ा जाता है। जनसम्पर्क के लिये विभिन्न समारोहों, उत्सवों, गोष्ठियों, सम्मेलनों आदि का उपयोग किया जाता है । यह बिचैलिये इस बात का प्रयास करते हैं कि इन अवसरों पर नेतृत्व, अध्यक्षता, समारोह के संचालन का भार आदि जनप्रतिनिधि को उनके माध्यम से ही मिले हैं । इस तरह यह बिचैलिये दोनों पक्षों के भले बने रहते हैं।

मध्यप्रदेश में महिलाओं को नेतृत्व की बागडोर सम्हालने का शंखनाद हो गया है। ग्राम, जनपद और जिला पंचायत में महिलाओं के लिए पचास प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था कर एक क्रांतिकारी कदम उठाया है। वर्ष 2010 में मध्यप्रदेश में सम्पन्न हुये पंचायतराज संस्थाओं के प्रतिनिधियों के निर्वाचन में महिलाओं ने आरक्षित स्थानों से अधिक संख्या लगभग 52 प्रतिशत निर्वाचित होकर पंचायतों की सत्ता की बागडोर सम्हालें हुये हैं। दो लाख से अधिक संख्या में महिलाएँ पंचायत में सीधे प्रतिनिधि होकर अपना दायित्व निभा रही हैं।

गांव के लोगों ने महिला प्रतिनिधियों पर भरोसा किया है और उन्हें पंचायत प्रतिनिधि के रूप में चुना है। महिलाओं में बहुत कुछ कर गुजरने की क्षमता है। बस महिला प्रतिनिधियों को अपनी जबावदारी निभाने के लिए अपेक्षित अवसर, काम करने के लिए स्वायत्ता और स्वतंत्रता की जरूरत है। पुरूष सहयोगी महिला प्रतिनिधियों को अपना दायित्व पूरा करने के लिए प्रोत्साहित करें। जहां मदद की जरूरत पड़े तो महिला प्रतिनिधि की मदद भी करें, किन्तु महिलाओं को यह सोचने पर विवश न करें कि वे पुरूष सहयोगी के बिना कुछ भी नहीं कर पायेगीं।





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डॉ. संजय राजपूत
संकाय सदस्य, जबलपुर
महिलाओं की स्थिति और समाज

किसी भी समाज की प्रगति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उस समाज मे महिलाओं की स्थिती कैसी है एवं समाज के लोगो का महिलाओं के प्रति क्या नजरिया है। प्रगतिशील समाज हमेशा महिलाओं को आगे बढाने और उनकी तरक्की मे अपनी और अपने समाज की तरक्की को देखता है किंतु ऐसे लोगो की संख्या कम ही होती है। प्रायः भारतीय समाज मे जो कि पितृ-सत्तात्मक होता है वहाँ यह देखा जाता है कि महिलाओं को सारे अधिकार तो दिए गए है किंतु उनके उपयोग करने व उन्हें क्रियान्वित करना कठिन होता है महिलाओं से उनके विचार तो लिए जाते है किंतु यह आवश्यक नही है कि उनकी बात पर गंभीरता से विचार हों कारण स्पष्ट है कि इस पुरूषवादी समाज मे महिलाओं को दोयम दर्जे का नागरिक ही समझा जाता है। समाज की इसी मानसिकता के चलते धीरे-धीरे प्रगतिशील महिला वर्गो ने इसका विरोध करना प्रारंभ कर दिया और अब वे समाज मे अपनी समानता को लेकर बात करने लगी। आज महिलाओं के प्रति बढतें अपराधों का यदि बारीकी से अध्ययन किया जाए तो हम पाते है कि जहाँ भी महिला ने अपने हकों और अधिकारों के लिए आवाज बुलंद की है, विरोधी पक्ष ने उसे हिंसा का सहारा लेकर समाप्त करने की कोशिश की है। हमारे समाज मे लोगो को समाज के लिए बनाए जाने पर बल दिया जाता है न कि समाज को हमारे अनुसार बनने का। इस बात पर बहुत अधिक विवाद हो सकता है कि समाज की मानसिकता को बदलने की आवश्यकता है कि व्यक्ति विशेष की। आज यदि कोई भी महिला खासतौर पर पिछडें और आदिवासी एवं दलित समाज की यदि किसी भी क्षेत्र मे तरक्की करती है तो उसे उस समाज विशेष का, खासकर पुरूषों का किसी न किसी प्रकार के विरोध का सामना करना पडता है। चाहे वह विरोध खुला हो अथवा घरेलू किसी भी रूप मे हो सकता है। सरकार द्वारा महिलाओं को समाज की मुख्यधारा मे जोड़ने के लिए उनके लिए अनेक कार्यक्रम व योजनाए चलाई जाती है किंतु वे सिर्फ सरकारी आकडों मे सिमटकर रह जाती है समाज एवं महिलाओं द्वारा उन्हे अपना नही माना जाता है और वे सिर्फ सरकारी योजना बनकर रह जाती है।

आज आवश्यकता इस बात की है कि लोगो को अर्थात समाज को यह एहसास हो कि महिलायें भी समाज का अभिन्न हिस्सा है इनकों मुख्यधारा मे शामिल किए बगैर हम समाज के विकास की कल्पना भी नही कर सकते है। सरकार द्वारा कुछ ऐसे कदम उठाए गए है जो कि निश्चित रूप से महिला सशक्तिकरण हेतु सराहनीय है जैसे यदि हम सरकारी योजना में महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गांरटी योजना की बात करे तो महिलाओं को प्रसूति सुविधा, कार्यस्थल की सुविधा, कार्यक्षेत्र मे बनी कार्य हेतु निगरानी समिती बनाई गई है कि जो यह देखेगी कि महिलाओं को कार्य के दौरान किसी प्रकार की तकलीफ तो नही हो रही है।

इसी तरह से महिला एवं बाल विकास विभाग तथा स्वास्थ्य विभाग की गर्भवती माता एवं शिशु के लिए चलाई जा रही योजना जैसे जननी सुरक्षा प्रसूति सहायता, कुपोषित बच्चों हेतु एन.आर.सी. सेन्टर सुविधा, लड़कियों हेतु लाड़ली लक्ष्मी योजना, गाँव की बेटी आदि ऐसी ही अन्य योजनाओं मे भी सरकार ने संवेदनशीलता दिखाई है और अब अपनी सोच का दायरा बढाया है निश्चित रूप से समय के साथ सरकार व शासन प्रशासन मे महिलाओं के प्रति संवदेनशीलता बढी है जो कि समाज मे महिलाओं की स्थिती को मजबूत करने हेतु अधिक कारगर सिद्ध होगी।





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नीलेश राय
संकाय सदस्य, जबलपुर
उमरिया फेस-2 - महिला सशक्तिकरण के संदर्भ में शैक्षणिक भ्रमण

महात्मा गाधी राज्य ग्रामीण विकास संस्थान, म.प्र., अधारताल, जबलपुर में एम.ओ.पी.आर.-यू.एन.डी.पी.-सी.डी.एल.जी., उमरिया फेज-2 परियोजना के अंतर्गत महिला सरपंच सशक्तिकरण कार्यक्रम के तहत् निर्वाचित महिला सरपंच को उनके प्रशिक्षण के बाद जलगाँव का एक्पोजर विजिट सम्पन्न हुआ। जलगाँव भ्रमण में कुल 94 महिला सरपंच एवं उनके सहयोगी सहित उमरिया जिले के अधिकारी एवं संस्थान के अधिकारी के साथ उमरिया फेज-2 टीम के सदस्यों ने भाग लिया।

जलगाँव भ्रमण का मुख्य उद्देश्य महिला सरपंचों को एक्पोजर विजिट के माध्यम से उनका सशक्तिकरण करना था। जलगाँव भ्रमण के दौरान बाकोद जनपद पंचायत का भ्रमण कराया गया। बाकोद जनपद पंचायत की सरपंच श्रीमति निर्मला जी से मुलाकात की गई। जिनसे गाँव को निर्मल ग्राम बनाने की प्रेरणा मिली। उन्होंने महिला सरपंचों को बताया कि पुराने सरपंच को हटाकर गाँव वालो ने स्वतः ही उन्हें सरपंच के रूप में चुना। श्रीमति निर्मला जी से, सरपंचो को गाँव में कार्य कराने के तरीके, अधिकारियों से बातचीत करने के तरीके की जानकारी प्राप्त हुई। उन्होंने बताया कि बाकोद पंचायत को निर्मल ग्राम बनाने में उनके गाँव वालों के सहयोग के साथ ही गाँव में जन्मे श्री भंवर लाल जी द्वारा संचालित जैन इरीगेशन सिस्टम लिमिटेड कम्पनी द्वारा पंचायत को तकनीकि एवं आर्थिक सहयोग मिलने के कारण यह बकोद पंचायत आदर्श रूप में पहचानी जाती है। सभी प्रतिभागियों को तकनीकि ज्ञान हेतु इरीगेशन की सभी इकाईयों का भ्रमण कराया गया।

भ्रमण के दौरान टिशु कल्चर के द्वारा अनार, केले आदि की खेती की सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त हुई। ग्रीन हाऊस, पॉली हाऊस की जानकारी से सभी प्रतिभागी प्रभावित हुये। वर्मी कल्चर के प्रयोग से खाद का निर्माण करना रोचक लगा।

प्लास्टिक पार्क, गांधी तीर्थ, अजंता गुफा दर्शनीय स्थलों को देखकर सभी प्रतिभागी काफी खुश हुये। मंहगाई के दौर में सोलर ऊर्जा का प्रयोग सभी सरपंचों को प्रेरणादायी लगा। सरपंचों ने उमरिया जिले के अपने-अपने गाँवों में सोलर पम्प का प्रयोग करने की बात कही।

दैनिक जीवन में उपयोग की जाने वाली सभी जरूरी वस्तुयें जैसे सोलर गीजर, सोलर हैण्ड पम्प, सोलर लाइट्स का अधिकतम् उपयोग निसंदेह एक सराहनीय कार्य है और सभी सरपंचो ने इस कार्य को यथा संभव अपने गाँवों में कराने की बात कही।

इसी तरह वायो गैस पॉवर प्लाण्ट द्वारा कचड़े का उपयोग कर ऊर्जा उत्पन्न की जाती है। इसके अलावा जनपद पंचायत बाकोद के स्कूल एवं अस्पताल का समुचित इंतेजाम भी देखा। ये सभी गांधीवादी विचारधारा का प्रतिनिधित्व करते है। इन स्कूलों में कमजोर बच्चों को सरकारी मदद प्रदान की जाती है इसके अलावा शिक्षकगण भी यथासंभव उनकी मदद के लिये तैयार रहते है। प्रत्येक शिक्षक 5 बच्चों को यूनीफार्म प्रदान करते है तथा प्रत्येक बच्चे ने एक या दो पेड़ गोद लेकर उनकी सुरक्षा की बात कही।

ड्रिप इरिगेशन के अंतर्गत ड्रिप के द्वारा सिंचाई से पानी की बचत होना किसानों के लिये लाभप्रद लगा। फलो में अनार, केला, आम की अच्छी आवक के लिए नये-नये तरीके बेहद रोचक लगे।

सरपंचों ने जैन इरिगेशन की सराहना करते हुये उन्हें नयी-नयी योजनाओं की जानकारी देने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने अपने-अपने गाँवों में इन योजनाओं का क्रियान्वयन करने की बात कही। अधिकारियों से बात करने के तरीके सीखे।

जलगाँव भ्रमण का मुख्य उद्देश्य महिला सरपंचों के दायरे को बढ़ाकर उनको घर से बाहर निकाल कर काम कराना था। इन महिला सरपंचों में से कई महिलाये ऐसी थी जिन्होंने पहली बार अपने घर एवं गाँव से बाहर कदम रखा था ऐसे में यह एक्पोजर विजिट उनके लिए बहुत अधिक महत्व रखता है। इस भ्रमण ने न केवल उनके आत्मविश्वास में वृद्धि की, वरन् कार्य के प्रति एक नवीन दृष्टिकोण भी पेश किया। चूंकि महिलायें पुरूषो पर आश्रित रहकर कार्य करती है अतः उन्हें आत्मनिर्भर बनाना इस भ्रमण का मुख्य उद्देश्य रहा।



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बदलती तस्वीर

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एनिमिया एक व्यापक समस्या

एनिमिया (रक्त अल्पता) का अर्थ है खून का फीका पड़ना, खून को स्वस्थ शक्ति वाला तथा गहरे लाल रंग का बनाने के लिए लोहतत्व (आयरन) की आवश्यकता होती है । यदि आपके भोजन में लोहतत्व की कमी है तो खून (रक्त) शक्ति विहीन तथा फीके रंग का हो जाता है इस स्थिति को ही एनिमिया कहते हैं ।

क्या आप जानते है:-
  • आधी से ज्यादा गर्भवती महिलाओं में खून की कमी गर्भावस्था के दौरान हो जाती है।
  • गर्भावस्था के दौरान पांच मृत्युओं में से एक की मृत्यु खून की कमी के कारण होती है।
  • आधी से ज्यादा किशोरियों में खून की कमी होती है ।
  • 6 वर्ष से कम उम्र के 60 से 70 प्रतिशत बच्चों में खून की कमी पाई जाती है।

खून की कमी के परिणाम:-
  • सामान्य रूप से थकान तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता का घटना एवं भूख में कमी हो जाती है । कमजोरी, जीभ तथा होठों में पीलापन या फीकापन।
  • गर्भावस्था के दौरान - प्रसव के वक्त कठिनाई बढ़ जाती है । सुरक्षित प्रसव में कठिनाई, कम वजन के शिशु को जन्म देने की सम्भावना बढ़ जाती है।
  • शिशु का समय से पूर्व जन्म होने की संभावना बढ़ जाती है।
  • बढ़ रहे भू्रण में मस्तिष्क की अपूर्णीय क्षति का होना।
बच्चों में:-
  • शारीरिक क्षमता का घटना
  • बौद्धिक स्तर का घटना
  • ध्यान व एकाग्रता का कम होना
  • संक्रमण का खतरा बढ़ना
किशोरियों में:-
  • अनियमित मासिक धर्म
  • कार्य करने की क्षमता का घटना
  • संक्रमण का खतरा
  • आयरन (लोह तत्व) का शरीर में भण्डारण का कम होना जिससे गर्भावस्था के समय समस्या की सम्भावना बढ़ना।
हम क्या करें:-
  • हम अपने भोजन के द्वारा इसे रोक सकते है। अपने भोजन में आयरन (लोह तत्व) से भरपूर आहार ले कर इसे रोका जा सकता है।
  • आयरन युक्त आहार जैसे - हरी पत्ते वाली सब्जियां, सरसो, पालक, मैथी, मूली, धनिया या पुदीना आदि, अनाज जैसे - गेंहू, ज्वार, बाजरा, मक्का, अन्य खाद्य पदार्थ जैसे मूंगफली, तिल, गुड़ खजूर, किशमिश आदि
  • मांसाहारी भोज्य पदार्थ जैसे मांस, मछली, अण्डा आदि खाद्य पदार्थ का अधिक से अधिक सेवन कर एनिमिया से बचा जा सकता है।
  • ध्यान देवे कि भोजन के साथ या बाद में (लगभग 1 घण्टा) चाय, काफी का सेवन कम करें । क्योंकि ये तरल पदार्थ शरीर द्वारा पर्याप्त मात्रा मे आयरन के अवशोषण को रोकते हैं।
  • अपने आहार में विटामिन "सी" युक्त आहार जैसे आंवला, नींबू अमरूद, खट्टे रसीले फल, अंकुरित दालों को भोजन में शामिल करें। क्योंकि ये खाद्य पदार्थ आयरन के अवशोषण को बढ़ाने में मदद करते है।
  • शासन द्वारा प्रदाय की जाने वाली आयरन व फोलिक ऐसिड (IFA) की गोली का सेवन करें जो स्वास्थ्य विभाग की ए, एन, - एम व ICDS की आंगनवाड़ी कार्यकर्ता द्वारा वितरित की जाती है।
  • गर्भवती महिला को एक बड़ी आयरन की गोली प्रतिदिन लेने की सलाह दी जाती है जिसमें कि 100 मि.ग्रा.
  • आयरन तथा 500 माइक्रोग्राम फोलिक ऐसिड होता है उस गोली को कम से कम 100 दिन तक लेना चाहिए।
  • किशोरी युवतियों को सप्ताह में केवल एक बार ही बड़ी आयरन की गोली लेने की सलाह दी जाती है। (गोली में 100 मि.ग्रा. आयरन तथा 500 माइक्रोग्राम फोलिक एसिड होता है)
बच्चों को:-
  • 6 माह तक के शिशुओं को मां के दूध से पर्याप्त आयरन मिल जाता है।
  • 6 माह से 59 माह तक के बच्चों को I F A की छोटी गोली दी जाती है जिसमें 20 मि.ग्रा. आयरन तथा 100 माइक्रो ग्राम फोलिक एसिड होता है इसे घोल के रूप में भी दिया जा सकता है।

इस तरह से आयरन (लोह तत्व) एक महत्वपूर्ण सूक्ष्म पोषक तत्व है जिसकी हमारे शरीर में बहुत आवश्यकता होती है, क्योंकि यह रक्त को गाढ़ा लाल बनाता है इसमें विद्यमान पर्याप्त ऑक्सिजन अपने साथ हीमोग्लोबिन (HB) नामक लाल रंग (लाल रक्त कण) का निर्माण करती है। थोड़ी सी जागरूकता के द्वारा हम अपने व अपने परिवार के सदस्यों को रक्त अल्पता या एनिमिया की स्वास्थ समस्या से बचा सकते हैं।





  अनुक्रमणिका  
जया मिश्रा
संकाय सदस्य, जबलपुर
केस स्टडी - मेहनत रंग लाई

मुलताई तहसील से 35 कि.मी. की दूरी पर एक गांव ‘‘गोला-रवा’’ आज सभी के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बन चुका है आज की यह उन्नत तस्वीर पहले न थी गांव समस्याओं से पटा हुआ था। मगर यह समस्याऐं हमेशा नही रहने वाली थी कारण कि कुछ लगनशील महिलाओं ने इस तस्वीर को बदलने की ठान ली थी। इस गांव की सरपंच गया बाई पंडाग्रे, द्रोपति साहू, जया बाई महाले, विमला झोड, पूरना बाई साहू ने गांव की समस्याओं को गंभीरता से लिया। गांव में बैठको का निरंतर आयोजन किया महिलाओं की समस्याओ को वर्गीकृत किया और पाया कि गांव में शराब, शिक्षा परिवहन स्वच्छता, रोजगार की समस्या है। महिलाओं द्वारा सबसे पहले शराब बंदी पर कार्य करते हुये गांव को शराब से मुक्त करवा दिया और शराब व्यवसाय से जुडे परिवारों को प्रेरित कर उन्हे दूसरे व्यवसाय को खोलने में मदद की।

ग्रामवासी गांव की शिक्षा व्यवस्था से खुश नहीं थे। महिलाओं द्वारा सतत् निरीक्षण एवं उचित मार्गदर्शन से आज गांव की शिक्षा व्यवस्था बहुत अच्छी स्थिति में पहुच गई है।

गांव आज आसपास के क्षेत्रो से परिवहन की दृष्टि से जुड़ चुका है यह परिणाम उन साहसी महिलाओं की मेहनत का ही परिणाम है। सभी स्वस्थ रहे, सभी मुस्कुराते रहे, इसी सपने को साकार करने के लिए गांव में नालियों, शौचालयों का निर्माण कार्य करवाया गया। आज गांव अन्य गांवो की तुलना में बहुत साफ सुथरा है।

गांव में रोजगार हो इस दिशा में लोगो को जागरूक किया, खेती में उन्नति हो, इसलिये तालाब का गहरीकरण एवं कुए खुदवाऐं गए। ग्रामवासी चहुमुखी विकास देखकर प्रभावित हुए और विकास के सहभागी बने। तालाब के लिए जमीन ग्रामवासियो द्वारा दान दी गई। यह उन महिलाओं की अथक परिश्रम का ही परिणाम है।

आज इन महिलाओं का सामूहिक एवं निरंतर प्रयास का ही नतीजा है, जो इस गांव की तस्वीर सकारात्मक रूप से बदली नजर आती है एवं दूसरो के लिए उदाहरण पेश करती है।

प्रवीण नागले़
संकाय सदस्य, मुलताई




  अनुक्रमणिका  
मुख्य कार्यपालन अधिकारी/विकासखण्ड अधिकारियों का आधारभूत प्रशिक्षण का आयोजन

संस्थान में पी.एस.सी. द्वारा चयनित एवं नवनियुक्त जनपद पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारियों एवं विकासखण्ड अधिकारियों के आधारभूत प्रशिक्षण का 29 अगस्त से 17 नवम्बर 2012 तक कुल कार्यकारी दिवसों का आयोजन किया गया।

प्रशिक्षण में 12 मुख्य कार्यपालन अधिकारियों तथा 2 विकासखण्ड अधिकारियों सहित कुल 14 प्रतिभागियों ने भाग लिया।

आधारभूत प्रशिक्षण कार्यक्रम को सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक प्रशिक्षण में विभाजित किया गया था। सैद्धांतिक प्रशिक्षण संस्थागत प्रशिक्षण के माध्यम से

किया गया जिसमें स्थापना, लेखा, पंचायतराज व्यवस्था, समस्त विभागीय एवं प्रदेश के संचालित अन्य प्रमुख योजनाओं के साथ-साथ व्यक्तित्व विकास के विभिन्न आयामों पर भी प्रशिक्षण दिया गया । सैद्धांतिक प्रशिक्षण संस्थान में एवं ‘‘वाल्मी’’ भोपाल में भी एक सप्ताह का प्रशिक्षण आयोजित किया गया।

प्रशिक्षण के पाठ्यक्रम के अनुसार प्रतिभागियों को 17 दिवसीय क्षेत्रीय प्रशिक्षण भी दिया गया जिसके अंतर्गत सभी उपस्थित प्रतिभागियों को 2-2 के समूह में विभिन्न जिलों को भेजा गया, जहां प्रत्येक समूह ने जिले के 3-3 विकासखण्ड में व्यावहारिक प्रशिक्षण प्राप्त किया।

आधारभूत प्रशिक्षण के अंत में प्रतिभागियों का सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक प्रशिक्षण पर आधारित मूल्यांकन किया गया।

प्रतिभागियों द्वारा सफलतापूर्वक प्रशिक्षण प्राप्त करने के उपरांत 17 नवंबर 2012 को सत्र का समापन किया गया।

प्रशिक्षण के उपरांत सभी प्रतिभागी अपने पदस्थापना पर उपस्थित होकर कुशलता पूर्वक अपने दायित्वों का निर्वहन कर सकेंगे।

  अनुक्रमणिका  
प्रकाशन समिति

संरक्षक एवं सलाहकार
  • श्रीमती अरुणा शर्मा(IAS),अपर मुख्य सचिव,
    म.प्र.शासन,पं.एवं ग्रा.वि.वि.,
  • श्रीमती कल्पना श्रीवास्तव(IAS),सचिव,म.प्र.शासन,पं.एवं ग्रा.वि.वि.


सह संपादक
संजीव सिन्हा, उप संचालक, म.गां.रा.ग्रा.वि.स.-म.प्र., जबलपुर

प्रधान संपादक

निलेश परीख,
संचालक,
महात्मा गांधी राज्य ग्रामीण विकास संस्थान-म.प्र., जबलपुर


फोटो संकलन
रमेश गुप्ता , म. गाँ. रा. ग्रा. वि. संस्थान - म. प्र. , जबलपुर

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